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साहित्य लहर

कविता : हाथरस हादसा

हाथरस हादसा…  क्या वो बाबा झूठा था इतना झिप गया देख भक्तो का हाल।। अब नही होने पाएं ऐसा इतना तो करना होगा इंतजाम सरकार मुआवजे में कुछ भी से नही लौटा पाएगी किसी की जान।। #आशी प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका) मध्य प्रदेश, ग्वालियर

व्याकुल जनता ढूंढती ,
एक ऐसा महंत ,
जो देकर आश्वासन
करे दुखो का अंत।।

सर्प जैसा आजकल
फैला हुआ जहर
हर कोई बाबा बना
हर कोई बना महंत ।।

प्रभु के जैसा कहां
होता है कोई और
जो भक्ति में प्रेम से
रक्षा करे अनंत ।।

हाथरस में आखिर कार
लगा एक धर्म पंडाल
सुनने आए कथा लोग
जाने कितना हुआ प्रचार ।।

छूकर चाह रहे थे संत को
लेना चाह रहे उनका प्रताप
भगदड़ मची ऐसी कथा में,
हो गया बहुत बड़ा बबाल ।।

हुई घातक धक्का मुक्की
निकल गई कितनो की जान ,
नही कही पर वो बाबा था
ना था भक्तो का कोई इंतजाम ।।

ऐसी स्थिति देखी नैनो ने
हृदय पर हुए बड़ा ये घात
राजनीति करते दिखे सदन में
नही था जिनका कोई ईमान ।।

लाखों भक्तों से पूछे कोई ,
क्यों आस्था पर उठे सवाल
क्या वो बाबा झूठा था इतना
झिप गया देख भक्तो का हाल ।।

अब नही होने पाएं ऐसा
इतना तो करना होगा इंतजाम
सरकार मुआवजे में कुछ भी से
नही लौटा पाएगी किसी की जान ।।

जिम्मेदार कौन ?


हाथरस हादसा...  क्या वो बाबा झूठा था इतना झिप गया देख भक्तो का हाल।। अब नही होने पाएं ऐसा इतना तो करना होगा इंतजाम सरकार मुआवजे में कुछ भी से नही लौटा पाएगी किसी की जान।। #आशी प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका) मध्य प्रदेश, ग्वालियर

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