कविता : हम तुम्हें चहाते है ऐसे

कविता : हम तुम्हें चहाते है ऐसे… तुम्हारी इन आंखों से आंखें मिलाना चाहते हैं छूकर ना होगी पूरी तमन्ना गले लगाना चाहते हैं सब कुछ तो उजागर हो गया शेर ओ शायरी से फिर भी पता नहीं लोगों से क्या छुपाना चाहते हैं लोग कहते हैं होता वही है जो राम चाहते हैं पर… #बंजारा महेश राठौर सोनू, मुजफ्फरनगर
फिर से नया दर्द नया जख्म पाना चाहते हैं
तुम बुलाओ तुम्हारे नजदीक आना चाहते हैं
लिखे हैं तुम्हारे लिए बहुत से शेर ओ शायरी
हर एक लाइन पर तुम्हारी दाद पाना चाहते हैं
तुम्हारी इन आंखों से आंखें मिलाना चाहते हैं
छूकर ना होगी पूरी तमन्ना गले लगाना चाहते हैं
सब कुछ तो उजागर हो गया शेर ओ शायरी से
फिर भी पता नहीं लोगों से क्या छुपाना चाहते हैं
लोग कहते हैं होता वही है जो राम चाहते हैं
पर हमारे राम को भी पता है हम क्या चाहते हैं
सारे भेद खोल दिया राठौर ने शेर ओ शायरी में
बस तुम्हारा नाम है जो हम लिखना नहीं चाहते हैं,