साहित्य लहर

कविता : हंसी का खजाना

होली का जश्न बीता धरती हरियाली से सजी बरसात में किसने तुम्हारे हाथों में मेहंदी रची खूबसूरत उस पहले पहर की याद आती रोशनी में तुम वफा के गीत गाती #राजीव कुमार झा

जमाने की गोद में
यादों के सहारे जिंदगी
फूलों की बरसात लगती
गर्मी के मौसम में
अमलतास के पास
आकर
सुबह तुम हवा के
पास बैठी

मुस्कुराहट
मौसम अकेला
याद आता तुम्हारी
हंसी का खजाना
धूप भरे सुलगते
आकाश में रंगों का
खजाना
होली का जश्न बीता

धरती हरियाली से सजी
बरसात में किसने
तुम्हारे हाथों में मेहंदी
रची
खूबसूरत
उस पहले पहर की
याद आती
रोशनी में तुम
वफा के गीत गाती


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