कविता : सुखी परिवार
कविता : सुखी परिवार, वह घर स्वर्ग सा सुंदर बन जाता है, परिवार का समस्या आसान होता है। हमेशा आत्मबल से परिपूर्ण रहता है, चुनौतियों का सामना में तत्पर रहता है। परिवार हमेशा हमारे साथ खड़ा रहता है, अगर गलतियाँ होती है परिवार सुधारक है। सुख -दु:ख चाहे है जितने आएं जब, नहीं घबराते जब परिवार होते साथ। #डॉ. मीना कुमारी परिहार, पटना
परिवार में सबको हंसते देख,
मन प्रफुल्लित बन जाता है।
दादा- दादी के जवानी किस्से,
सुन मन आह्लादित हो जाता है।
बाबूजी की डांट और फटकारें,
सही रास्ते पर चलना सिखाए।
खुशियों का स्वर्ग का घर है,
परिवार संग समय बीतता है।
परिवार बड़ा होता है इंद्रधनुष,
कम पड़ जाती है इसकी प्रशंसा।
सभी मिलकर गप्पे मार मार कर,
बितते है सुबह, शाम, रात भर।
संयुक्त परिवार है एक बड़ी सीख,
सिखाता है हमेंएकता की सीख।
घर में सुनाई बुजुर्गों की खांसी,
घर में आहत हो बुजुर्गों की लाठी।
वह घर स्वर्ग सा सुंदर बन जाता है,
परिवार का समस्या आसान होता है।
हमेशा आत्मबल से परिपूर्ण रहता है,
चुनौतियों का सामना में तत्पर रहता है।
परिवार हमेशा हमारे साथ खड़ा रहता है,
अगर गलतियाँ होती है परिवार सुधारक है।
सुख -दु:ख चाहे है जितने आएं जब,
नहीं घबराते जब परिवार होते साथ।
अगर बिखर जाएगा परिवार अपना,
बड़ों का साथ होते परिवार खुशहाल।