साहित्य लहर
कविता : वोट की शक्ति
तब जा के स्वतंत्रता हमें मिली, गुलशन मेें तब जाके जूही चमेली खिली। वंशवाद को हटा देना है, नया इतिहास बना देना है। घोटालेबाजों से मुक्त होना है, स्वच्छ भारत बना देना है। #प्रोफेसर डॉक्टर सुधा सिन्हा, मुजफ्फरपुर, (बिहार)
हमारे हाथों में अपार शक्ति ,
हमारे अंदर छिपी देशभक्ति ।
वोट से तिलक लगाना है ,
सही चौकीदार को ले आना है।
घर से निकल वोट देना है,
ई वी एम पर चोट करना है।
देशद्रोही को भगाना है ,
इस गुलशन को सजाना है।
अगर हमने कर दी गलती,
फिर से बन जाये ना कहीं बंदी।
गुलामी की बेडी जो जकडी थी,
बडी मुश्किलों से उतरी थी।
जलियांवाला बाग में हुयी खून की होली,
न जाने कितनों पे चली थी गोली।
तब जा के स्वतंत्रता हमें मिली,
गुलशन मेें तब जाके जूही चमेली खिली।
वंशवाद को हटा देना है,
नया इतिहास बना देना है।
घोटालेबाजों से मुक्त होना है,
स्वच्छ भारत बना देना है।