कविता : वर्षा रानी
वर्षा रानी… चारों ओर लोग मस्ती में झूम उठते हैं और पिकनिक मनाने जाते हैं हे वर्षा रानी समय समय पर आकर तुम हमें भीषण गर्मी से राहत दिलाती रहना तेरा आगमन ही हमारे जीवन में खुशहाली भर देती है जब तुम जरूरत से ज्यादा बरसती हो… #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
वर्षा रानी जब तुम आती हो
तब मिट्टी की बड़ी ही अच्छी सुंगध आती हैं
जब तुम आती हो तब
मंद मंद हवाएं चलती हैं जो
सभी को बहुत सुहाती है
हे वर्षा रानी जब
तुम पेडों के पतों पर पडती हो तो
उनके जीवन में ऊर्जा का
नव संचार होता हैं
वर्षा के पानी में नहाकर
वे चमक उठते हैं और
आनन्दित होकर
पक्षियों को आमंत्रित करते हैं
वर्षा रानी जब तुम आती हो
तब हमारा रोम रोम खिल जाता हैं
तेरा स्पर्श पाकर जीवन में
एक नई उमंग, नया उत्साह और
नई ऊर्जा का संचार होता है
नदियां, तालाब, झरने और बांध
सभी लबालब भर जाते हैं
चारों ओर लोग मस्ती में झूम उठते हैं और
पिकनिक मनाने जाते हैं
हे वर्षा रानी समय समय पर आकर
तुम हमें भीषण गर्मी से
राहत दिलाती रहना
तेरा आगमन ही हमारे जीवन में
खुशहाली भर देती है
जब तुम जरूरत से ज्यादा बरसती हो
तब चारों ओर विनाश का
तांडव छा जाता है अतः
हे वर्षा रानी अपनी सीमा में रहकर
हमें अपने पवित्र जल से
तर बर कर दों