साहित्य लहर

कविता : मुस्कुराना आपका

आ जाओ अब तो आप यूं न लजाओ यारा, हाय ! मुझको मार डालेगा यूं लजाना आपका। मेरा लिखना हो रहा है अब तो सार्थक निर्मल, गूगल करके मेरी नज्मों को यूं गुनगुनाना आपका। #आशीष तिवारी निर्मल, लालगांव, रीवा (मध्य प्रदेश)

यूं नजर मिलाकर फिर वो शर्माना आपका
मुझे देख धीरे – धीरे से मुस्कुराना आपका ।

रौशनी बनकर आयी हो मेरे जीवन में विभा
काम है जीवन से मेरे अंधेरे को भगाना आपका।

मेरे पास आते ही आप यूं सकुचा सी जाती हो
मुझे भा गया इस तरह से सकुचाना आपका।

आ जाओ अब तो आप यूं न लजाओ यारा
हाय ! मुझको मार डालेगा यूं लजाना आपका।

मेरा लिखना हो रहा है अब तो सार्थक निर्मल
गूगल करके मेरी नज्मों को यूं गुनगुनाना आपका।


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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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