साहित्य लहर
कविता : महाराणा प्रताप

कुल की मर्यादा के खातिर घास की रोटी खाया था विदेशी मुगलों के सामने मस्तक नहीं झुकाया था। स्वाधीनता के खातिर सर्वस्य न्योछावर कर डाला था मातृभूमि पर मिटने वाला शूरवीर वो मतवाला था। #सुनील कुमार, बहराइच, उत्तर प्रदेश
मातृभूमि पर मर मिटने वाला
शूरवीर वो मतवाला था
राणा उदयसिंह का वीर पुत्र
मेवाड़ का लाल निराला था।
हवा से बातें करता चेतक
मातृभूमि पर मिटने वाला था
युद्ध भूमि में दुश्मनों को
नाकों चने चबवा डाला था।
कुल की मर्यादा के खातिर
घास की रोटी खाया था
विदेशी मुगलों के सामने
मस्तक नहीं झुकाया था।
स्वाधीनता के खातिर
सर्वस्य न्योछावर कर डाला था
मातृभूमि पर मिटने वाला
शूरवीर वो मतवाला था।