साहित्य लहर
कविता : मतदान
देखो प्रचार की लहर है छाई नेता जी हाथ जोड़कर घूम रहे, बहुत चतुर होते हैं नेता जी अभी हाल-चाल भी पूछ रहे। ऐसे नेता को नहीं जितायें जो फिर पांच वर्ष के मिलें, #डा उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार
आओ लोक पर्व की बात करें
हम मिलजुल कर मतदान करें,
ई वी एम का बटन दबाकर
नोटा से नहीं मत बर्बाद करें।
अपने क्षेत्र के कर्मठ नेता को
सोच- समझ कर चुन कर लायें,
ऐसे नेता को मिलकर जितायें
सुख-दुख में सबके काम आयें।
देखो प्रचार की लहर है छाई
नेता जी हाथ जोड़कर घूम रहे,
बहुत चतुर होते हैं नेता जी
अभी हाल-चाल भी पूछ रहे।
ऐसे नेता को नहीं जितायें
जो फिर पांच वर्ष के मिलें,
नेता ऐसा हो जो जनता के
और देश हित में काम करें।