साहित्य लहर
कविता : बाबाओं की फौज
बाबाओं की फौज… करते उट पटांग काम नियम -कानूनों की उड़ाते धज्जियां और भोली जनता अव्यवस्थाओं के चलते जान गंवा बैठती है पल भर का इन बाबाओं को पता नहीं… #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
भारत में खड़ी हो गई बाबाओं की फौज
दिखा-दिखाकर तरह-तरह के करतब
भोली जनता के पैसों से लेते मौज
भांति-भांति के बाबा
लाखों- करोड़ों इनके अनुयाई
अरबों-खरबों का मिले दान
और ऊपर से मिलता अति मान- सम्मान
फिर ये बाबा अहंकार में आ जाते हैं
स्वयं को ही भगवान मान बैठते हैं
करते उट पटांग काम
नियम -कानूनों की उड़ाते धज्जियां
और भोली जनता अव्यवस्थाओं के चलते
जान गंवा बैठती है
पल भर का इन बाबाओं को पता नहीं
और युगों-युगों पर देते ज्ञान
भोली जनता बाबाओं को मत मान
स्वयं को ही पहचान।