
तेरी लाठी में दम है। बिना आवाज के भी वह सबको न्याय दिलाने में सक्षम हैं हे मेरे प्रभु! फिर भला इन अपराधियों को दंड देने में इतना विलम्ब क्यों ? भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का सफाया कीजिए और देश में शान्ति, सद् भाव, प्रेम – सौहार्द व भाईचारे की बांसुरी तुम फिर से बजा दीजिए #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
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हे मेरे प्रभु! अनौखी है तेरी लीला
रोते को तू हंसाता हैं
रोगी को तू नया जीवन दान देता हैं
बिगडी को बनाने वाला है तू
संकट में पार लगाता है तू
हे मेरे प्रभु! अनौखी है तेरी लीला
तेरे भक्त कहते हैं कि तू हर जगह मौजूद है
कण कण में है तू ही तू
अपने भक्तों के मन में है तू
हे मेरे प्रभु फिर भला, तुम हमें दिखाई क्यों नहीं देते
हे मेरे प्रभु! अनौखी है तेरी लीला
कदम कदम पर तू अपने भक्तों की
कठोर परीक्षा लेता है तू
अनेक बार उन्हें हताश निराश करता है तू
हे मेरे प्रभु! अनौखी है तेरी लीला
हे मेरे प्रभु! मैं तेरी चौखट पर खडा
तुझ से बस यही विनती करता हूं कि
गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी, अत्याचार,
व्यभिचार, बढते अपराधों, दुर्घटनाओं से
जन जन को तू बचा लें, पेयजल संकट,
बीमारियों, टूटी फूटी सडकों, बढते अतिक्रमणों
जैसे नासूर से जन जन को बचा लें
हे मेरे प्रभु! अनौखी है तेरी लीला
सब कुछ जानते हुए भी तू क्यों मौन हैं
तेरी लाठी में दम है। बिना आवाज के भी
वह सबको न्याय दिलाने में सक्षम हैं
हे मेरे प्रभु! फिर भला इन अपराधियों को
दंड देने में इतना विलम्ब क्यों ?
भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का सफाया कीजिए
और
देश में शान्ति, सद् भाव, प्रेम – सौहार्द व
भाईचारे की बांसुरी तुम फिर से बजा दीजिए










Nice poem