साहित्य लहर
कविता : पर्वतों सी पीर
कविता : पर्वतों सी पीर, नैनों में अपने नीर लिए बैठे हैं एक तस्वीर लिए सर पे खुद तलवार लिए बंद मुट्ठी में तकदीर लिए खुद की जागीर लिए बैठे हैं एक तस्वीर लिए, #बंजारा महेश राठौर सोनू, मुजफ्फरनगर
पर्वतों सी ऊंची पीर लिए
हृदय में सौ सौ तीर लिए
नैनों में अपने नीर लिए
बैठे हैं एक तस्वीर लिए
सर पे खुद तलवार लिए
बंद मुट्ठी में तकदीर लिए
खुद की जागीर लिए
बैठे हैं एक तस्वीर लिए,,