साहित्य लहर
कविता : परिवर्तन
घर-घर में होगा राम- धुन हर घर में होगा शंख-नाद। संभल के रहना देश के दुश्मन अब न चलेगा शकुनि चाल, बच्चा-बच्चा लव-कुश होगा हर हाथ में होगा तीर-कमान। #डा उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार
परिवर्तन की हवा चली है
कमल फूल से उड़ी सुगंध,
जागरुक हो रहा है जन-जन
जाग रहा है हिन्दुस्तान।
हाथ मिलाना छोड़ के हम
हाथ जोड़ करते हैं प्रणाम,
संस्कृति का पाठ पढ़ायें
पहनेंगे अपना परिधान।
खोई सी अपनी संस्कृति
धीरे-धीरे लौट रही,
घर-घर में होगा राम- धुन
हर घर में होगा शंख-नाद।
संभल के रहना देश के दुश्मन
अब न चलेगा शकुनि चाल,
बच्चा-बच्चा लव-कुश होगा
हर हाथ में होगा तीर-कमान।