साहित्य लहर

कविता : नंदलाल

नंदलाल… नंद गांव गुलजार हुआ, यमुना जी दर्शन करने को व्याकुल हो रहीं आज। कंश का अत्याचार बढ़ा तो घर-घर हां-हां कार मचा, भारत में सुख-शांति के लिए फिर से आ जाओ एक वार। वंशी की धुन सुनकर राधा सखियों के संग मुग्ध हुईं, अमर-प्रेम की तान सुनाने फिर से आ जाओ नंदलाल। #डा उषाकिरण श्रीवास्तव

फिर से आ जाओ नंदलाल
सारे जग के पालनहार,
करने पापियों का संहार
हम सब करते अर्ज-गुहार।

बंदी गृह में जन्म हुआ और
नंद गांव गुलजार हुआ,
यमुना जी दर्शन करने को
व्याकुल हो रहीं आज।

कंश का अत्याचार बढ़ा तो
घर-घर हां-हां कार मचा,
भारत में सुख-शांति के लिए
फिर से आ जाओ एक वार।

वंशी की धुन सुनकर राधा
सखियों के संग मुग्ध हुईं,
अमर-प्रेम की तान सुनाने
फिर से आ जाओ नंदलाल।

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नंदलाल... नंद गांव गुलजार हुआ, यमुना जी दर्शन करने को व्याकुल हो रहीं आज। कंश का अत्याचार बढ़ा तो घर-घर हां-हां कार मचा, भारत में सुख-शांति के लिए फिर से आ जाओ एक वार। वंशी की धुन सुनकर राधा सखियों के संग मुग्ध हुईं, अमर-प्रेम की तान सुनाने फिर से आ जाओ नंदलाल। #डा उषाकिरण श्रीवास्तव

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