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साहित्य लहर

कविता : धृतराष्ट हुईं हैं सरकारें

कविता : धृतराष्ट हुईं हैं सरकारें… असल बुद्धिजीवी वर्ग (मीडिया जगत ) बर्बरीक़ सम सब देख रहा है असलियत मौनास्त्र धारण कर छिपी है कहीं उजागर हो तो कुछ बात बने अपेक्षा अब कृष्ण से है बस बदल दें या रखें जस के तस… #सिद्धार्थ गोरखपुरी

धृतराष्ट सरकारें हुईं हैं
सियासत…. महाभारत
गरीब अभिमन्यु हुआ है
तेल, दाल, आटा, आलू, प्याज़, टमाटर, लहसुन सात महाबली
अंजाम -ए -अभिमन्यु …. सबको पता है

किशन की तलाश… अर्जुन का निशाना
और कर्ण का दान याद आ रहा है
सच युधिष्ठिर के कंठ में फंस गया है
पुष्टाहार बिन भीम का बल क्षीण हो रहा है

असल बुद्धिजीवी वर्ग (मीडिया जगत ) बर्बरीक़ सम सब देख रहा है

असलियत मौनास्त्र धारण कर छिपी है कहीं
उजागर हो तो कुछ बात बने
अपेक्षा अब कृष्ण से है बस
बदल दें या रखें जस के तस

प्रेमचंद जी का सम्पूर्ण जीवन रहा संघर्षमय


कविता : धृतराष्ट हुईं हैं सरकारें... असल बुद्धिजीवी वर्ग (मीडिया जगत ) बर्बरीक़ सम सब देख रहा है असलियत मौनास्त्र धारण कर छिपी है कहीं उजागर हो तो कुछ बात बने अपेक्षा अब कृष्ण से है बस बदल दें या रखें जस के तस... #सिद्धार्थ गोरखपुरी

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