साहित्य लहर

कविता : तुम लूट लो वर्षा का आनन्द

तुम लूट लो वर्षा का आनन्द… हर दिशा में छाई है घनघोर घटा वर्षा को तुम जमकर बरसने दीजिए पानी के संकट से, मंहगी सब्जियों, दालों, अनाज, खाद्यान्न व मिर्च मसालों के बढ़ते दामों से अब तो कुछ राहत मिलेंगी ईश्वर की कृपा रही तो हमें मंहगाई से… #सुनील कुमार माथुर जोधपुर राजस्थान

तुम लूट लो वर्षा का आनन्द
हर दिशा में छाई है घनघोर घटा
वर्षा को तुम जमकर बरसने दो
स्नान कर तुम लूट लो वर्षा का आनन्द

बहने दो नदियां और नालों को
भरने दीजिए तालाबों और बांधों को
वर्षा को बरसने दीजिए
खेत और खलियानों में

तुम लूट लो वर्षा का आनन्द
हर दिशा में छाई है घनघोर घटा
वर्षा को तुम जमकर बरसने दीजिए
पानी के संकट से, मंहगी सब्जियों,

दालों, अनाज, खाद्यान्न व मिर्च मसालों के
बढ़ते दामों से अब तो कुछ राहत मिलेंगी
ईश्वर की कृपा रही तो हमें मंहगाई से
बडी राहत मिलेगी

तुम लूट लो वर्षा का आनन्द
हर दिशा में छाई है घनघोर घटा
वर्षा को तुम जमकर बरसने दो

आज भी प्रासंगिक है मुंशी प्रेमचन्द का साहित्य व लेखन


तुम लूट लो वर्षा का आनन्द... हर दिशा में छाई है घनघोर घटा वर्षा को तुम जमकर बरसने दीजिए पानी के संकट से, मंहगी सब्जियों, दालों, अनाज, खाद्यान्न व मिर्च मसालों के बढ़ते दामों से अब तो कुछ राहत मिलेंगी ईश्वर की कृपा रही तो हमें मंहगाई से... #सुनील कुमार माथुर जोधपुर राजस्थान

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