साहित्य लहर

कविता : तम्बाकू छोड़ो

कविता : तम्बाकू छोड़ो… तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते। मान-सम्मान की नीलामी करते गली-गली खुद  बदनामी करते तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते। धन – दौलत  की  बर्बादी करते खत्म जीवन की कहानी करते तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते। #सुनील कुमार, एआरपी (विज्ञान), बहराइच,उत्तर प्रदेश

तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते
स्वस्थ-सुखी वो कभी न रहते।

तन-मन अपना खोखला करते
टीबी-दमा-कैंसर रोग हैं पालते
तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते।

स्वस्थ फेफड़े खुद छलनी करते
लाखों बेमौत तड़प कर हैं मरते
तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते।

दुःख- तकलीफ अपनों को देते
स्वस्थ – सुखी  खुद भी न रहते
तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते।

मान-सम्मान की नीलामी करते
गली-गली खुद  बदनामी करते
तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते।

धन – दौलत  की  बर्बादी करते
खत्म जीवन की कहानी करते
तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते।

कविता : मेरे मम्मी-पापा


कविता : तम्बाकू छोड़ो... तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते। मान-सम्मान की नीलामी करते गली-गली खुद  बदनामी करते तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते। धन - दौलत  की  बर्बादी करते खत्म जीवन की कहानी करते तंबाकू सेवन जो लोग हैं करते। #सुनील कुमार, एआरपी (विज्ञान), बहराइच,उत्तर प्रदेश

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights