
आरती उतारे तेरी शूर छेड़ रहे सब वाणी को संवारो अब तान सुन लीजिए। कंठ बिराजो शारदे वाणी को निखारों दुआ करो भक्तों पर मेरी कलम को निखारिए। #सुजाता चौधरी, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
[/box]
जय माँ वरदायिनी,जय माँ ज्ञानदायिनी,तार कर अज्ञानता, विद्या-बुद्धि दीजिए।
हाथ जोड़ पूजा करूँ,नित्य तेरा ध्यान धरूँ माता मेरी विनती को,अब सुन लीजिए।
सबको हैं देती ज्ञान बढ़ता सबका मान नेत्र चक्षु खोलकर करतीं उद्धार है।
सफेद पहने वस्त्र,रखती न कोई शस्त्र जग माता बागेश्वरी,महिमा अपार है।
श्वेत वस्त्र ही धारण करती,पहन स्फटिक की माला।
करो प्रकाशित इस जीवन को,नइया तू ने संभाला।
मात चरण में आई,कब से शीश झुकाई माँग रही हूँ वरदान माँ साथ निभाइए।
नहीं कहीं अब जाऊँ दीपक एक जलाऊँ जगत में मान मेरा शारदे बढाइए।
अपने सौम्य रूप का,दर्शन दीजिए।
बच्चों की तपस्या को,माँ सफल कीजिए।
आरती उतारे तेरी शूर छेड़ रहे सब वाणी को संवारो अब तान सुन लीजिए।
कंठ बिराजो शारदे वाणी को निखारों दुआ करो भक्तों पर मेरी कलम को निखारिए।
दूर करो अंँधियारा मन से मात करो उजियार।
किरणों की वर्षा अब कर दो,भर दो ज्ञान अपार।
अज्ञानी को ज्ञान दो माता,खोलो मन के द्वार।
मैया मेरी विनती सुन लो,इतनी बारम्बार।









