साहित्य लहर
कविता : गर्मी आई, गर्मी आई
सड़कें और घर की छत्ते ऐसे तप रही हैं, मानों इन्हे तवा समझ कर, इन पर रोटियां सेंक लिजिए, गर्मी आई, गर्मी आई, हम सब के लिए परेशानियां लाई, कभी बिजली गुल तो कभी पानी गुल… #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
गर्मी आई, गर्मी आई
हम सब के लिए परेशानियां लाई
कभी बिजली गुल तो कभी पानी गुल
सूर्य ने भी हमें सताने की कसम जो खाई हैं
सूर्योदय के साथ ही
गर्मी का प्रकोप सता रहा है
सभी जीव जन्तु, पशु पक्षी और
इंसान बेहाल हो रहे हैं
सड़कें और घर की छत्ते ऐसे तप रही हैं
मानों
इन्हे तवा समझ कर
इन पर रोटियां सेंक लिजिए
गर्मी आई, गर्मी आई
हम सब के लिए परेशानियां लाई
कभी बिजली गुल तो कभी पानी गुल
Nice poem