साहित्य लहर
कविता : एक बनों, नेक बनों व श्रेष्ठ बनो

देश प्रेम की भावना के साथ, एक बनों, नेक बनों व श्रेष्ठ बनों, हिंसा, राग ध्देष, छल कपट जैसी, इन तमाम बुराइयों को त्याग कर, शिक्षा की ज्योति जलाकर, एक बनों, नेक बनों, व श्रेष्ठ बनो #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
शिक्षा की ज्योति जलाकर
तुम हर बच्चे को शिक्षित करो
देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत होकर
देश के कर्मवीर बनों
एक बनो, नेक बनों व श्रेष्ठ बनों
देश सेवा की भावना के संग
सदैव आगे बढते जाओं
सरस्वती के इस पावन मंदिर में
शिक्षा की ज्योति जलाकर
हर बच्चे को तुम शिक्षित करो
देश प्रेम की भावना के साथ
एक बनों, नेक बनों व श्रेष्ठ बनों
हिंसा, राग ध्देष, छल कपट जैसी
इन तमाम बुराइयों को त्याग कर
शिक्षा की ज्योति जलाकर
एक बनों, नेक बनों, व श्रेष्ठ बनों
Nice poem
Nice
Ati sundar