साहित्य लहर
कविता : एक बंजारा
कविता : एक बंजारा… वो भी नसीब का मारा था कोई जो जीतीं बाजी हारा था कोई बताता था जिला मुजफ्फरनगर लिखता गांव राजपुर गढ़ी में घर #बंजारा महेश राठौर सोनू, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)
मेरी आंखों का तारा था कोई
मेरे गमों का सहारा था कोई
तड़पता छोड़ गया इस कदर
शायद मजबूर बंजारा था कोई
हद से ज्यादा प्यारा था कोई
दुनियां में सबसे न्यारा था कोई
उसके बिना टूट गये इस कदर
शायद मजबूर बंजारा था कोई
वो भी नसीब का मारा था कोई
जो जीतीं बाजी हारा था कोई
बताता था जिला मुजफ्फरनगर
लिखता गांव राजपुर गढ़ी में घर