साहित्य लहर
कविता : उनकी यादें
नहीं ठहरते उनकी यादों में हवाई जहाज पर उड़ते लोग मन ही मन बातें किया करते वे अकेली होती हैं रात खत्म होने के बाद फुर्सत में कभी दोपहर में सोती हैं! #राजीव कुमार झा
महानगरों में
संभोग के सुख से
आनंदविह्वल बनी
लड़कियां
बेहद सुंदर लगतीं
होटलों में उनके
कपड़े
पहनावा ओढ़ावा
अंतर्वस्त्र
उनके तन मन की
रंगत
रंग बिरंगे कारों से
उतरते
सलीके से लोग उनको
देखकर
बातें किया करते
आशिक टूरिस्ट
बिजनेसमैन
अपने कमरों में
बुलाकर
उनसे बातें किया
करते
प्यार के वक्त
प्रेमियों के मन को
तरोताजा बना देती
लड़कियों को
फ़ौरन वे नग्न होकर
मुस्कुराने के लिए
कहते
ग्रुप सेक्स में मर्द
उनके सामने
बिल्कुल भी कहीं
नहीं ठहरते
उनकी यादों में
हवाई जहाज पर
उड़ते लोग
मन ही मन
बातें किया करते
वे अकेली होती हैं
रात खत्म
होने के बाद फुर्सत में
कभी दोपहर में
सोती हैं!