साहित्य लहर
कविता : अम्बर
कविता : अम्बर… साबन आया,साबन आया चलो बाग में झूला झूलें । खेतों में हरियाली छाई फल-फूलों से लदी है डाली। चिड़ियां चीं-चीं करती फिरती कोयल कूक-कूक कर कहती। #डा उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार
नीले अम्बर में काले बादल
देखो कैसे गरज रहा है।
झम-झम पानी बरस रहा
देखो बिजली भी चमक रही है।
कीचड-कीचड पानी-पानी
नहीं निकलने देती नानी।
कपड़े जब गंदे हो जायेग
फिर स्कूल कैसे जायेगें ।
साबन आया,साबन आया
चलो बाग में झूला झूलें ।
खेतों में हरियाली छाई
फल-फूलों से लदी है डाली।
चिड़ियां चीं-चीं करती फिरती
कोयल कूक-कूक कर कहती।
मेंढक भी टर्र-टर्र है टर्राते
वर्षा में हम सब ख़ूब नहाते।
भारत में गरीबी के कारण : मुद्रास्फीति तथा बेरोजगारी के साथ अंतर्संबंध