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अबकी सावन… देखो बादल गर्जन करता बिजली से बहुत ईजोर है। कलियां घुंघट काढ़े बैठी लतिकाऐं पांव पसार रही, भौंरौं के गुण-गुण गाने से बागों में हुआ गुलजार है। रात अंधेरी काले बादल धड़क रहा जियरा मोर, प्यासी धरती तृप्त हो रही… #डा उषाकिरण श्रीवास्तव
[/box]अबकी सावन बहुत सुहावन
सुनहरी यादों की बरसात है,
मेरे आंगन में भी अबकी
आई बूंदों की बौछार है।
झींगुर झन-झन गीत सुनाता
खुशी से नाच रहा वन मोर,
देखो बादल गर्जन करता
बिजली से बहुत ईजोर है।
कलियां घुंघट काढ़े बैठी
लतिकाऐं पांव पसार रही,
भौंरौं के गुण-गुण गाने से
बागों में हुआ गुलजार है।
रात अंधेरी काले बादल
धड़क रहा जियरा मोर ,
प्यासी धरती तृप्त हो रही
ठंढी-ठंढी चले बयार है।
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