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कतर से रिहा होकर घर लौटे कैप्टन सौरभ, भावुक हुए माता-पिता

कैप्टन सौरभ ने कहा कि उस कठिन समय में 15 से 30 सेकंड तक पिता से बात होती थी। उसमें पिता हमेशा ढांढस बंधाते रहते। 15 से 30 सेकंड में हर बार पिता यही बोलकर थे, बेटा देर है अंधेर नहीं… ये बताते ही कैप्टन सौरभ वशिष्ठ रो पड़े। कैप्टन सौरभ ने कहा कि प्रभु की कृपा और पीएम मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप से ही में आज अपने घर लौट सका हूं।

देहरादून। कतर जेल से रिहा होकर कैप्टन सौरभ वशिष्ठ मंगलवार रात दून में अपने घर पहुंचे। उन्हें देखते ही उनके माता-पिता भावुक हो गए। कैप्टन सौरभ वशिष्ठ ने कार से उतरते ही पहले माता-पिता को गले लगाया फिर आशीर्वाद लिया। इस दौरान जोरदार आतिशबाजी और नारेबाजी कर उनका स्वागत किया गया। कैप्टन सौरभ वशिष्ठ ने कहा कि प्रभु के आशीर्वाद से मुझे नई जिंदगी मिली है।

उन्हीं की कृपा से आज मैं अपने घर पहुंच सका हूं। कतर के वो दिन अब पीछे हैं। जिंदगी में जो नहीं कर पाया हूं, अब इस नई जिंदगी में उन्हें करूंगा और अपने सपने पूरे करूंगा। कतर से रिहा होकर पूर्व नौसैनिक कैप्टन सौरभ वशिष्ठ दिल्ली से मंगलवार रात अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कार से देहरादून के क्लेमेंटटाउन स्थित अपने घर पहुंचे।

घर पहुंचते ही उनके माता-पिता और भाजपा नेता महेश पांडेय ने क्षेत्रवासियों के साथ मिलकर फूलमाला, पटका और आतिशबाजी कर उनका जोरदार स्वागत किया। घर के द्वार पर ही उनकी माता ने आरती उतारी और तिलक किया। कैप्टन सौरभ वशिष्ठ ने कहा कि प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद और पीएम मोदी के सहयोग से आज अपने घर पहुंच सका हूं।

मेरे जीवन के इस कठिन पल में पत्नी, बच्चे और परिवार मेरे साथ खड़ा रहा। उन्होंने स्थानीय लोगों का भी आभार जताया। कैप्टन सौरभ वशिष्ठ ने दून में कदम रखते ही सबसे पहले मंदिर में मत्था टेका। वह रात में जैसे ही दून पहुंचे तो सबसे पहले मोहब्बेवाला स्थित सांई मंदिर में रुके और दर्शन किए। इसके बाद उन्होंने घर पहुंचकर घर के मंदिर में दर्शन कर आशीर्वाद लिया।

कैप्टन सौरभ ने कहा कि उस कठिन समय में 15 से 30 सेकंड तक पिता से बात होती थी। उसमें पिता हमेशा ढांढस बंधाते रहते। 15 से 30 सेकंड में हर बार पिता यही बोलकर थे, बेटा देर है अंधेर नहीं… ये बताते ही कैप्टन सौरभ वशिष्ठ रो पड़े। कैप्टन सौरभ ने कहा कि प्रभु की कृपा और पीएम मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप से ही में आज अपने घर लौट सका हूं। आज घर लौटने की जो खुशी है उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता।


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