उत्तराखंड की राजधानी Dehradun में सरकारी स्कूल का बुरा हाल
उत्तराखंड की राजधानी Dehradun में सरकारी स्कूल का बुरा हाल… ऐसे में नए भवन बनने तक यहां के 76 छात्र-छात्राएं सात महीने से नगर निगम के राजीव गांधी सेवा केंद्र में अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन यहां पर न तो शौचालय की सुविधा है और न ही बिजली।
देहरादून। एक ओर जहां स्कूलों में छात्रों को मूलभूत सुविधा देने का दावा किया जाता है लेकिन कई स्कूल इन सुविधाओं से भी वंचित हैं। ऐसा ही कुछ हाल रायपुर ब्लाक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय नालापानी का है। यहां स्कूल का भवन जीर्ण शीर्ण होने के चलते उसे तोड़कर निर्माण कार्य किया गया।
ऐसे में नए भवन बनने तक यहां के 76 छात्र-छात्राएं सात महीने से नगर निगम के राजीव गांधी सेवा केंद्र में अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन यहां पर न तो शौचालय की सुविधा है और न ही बिजली। ऐसे में छात्र-छात्राएं नजदीकी घरों अथवा पास के जंगल में शौचालय जाने को मजबूर हैं वहीं बिजली न होने से भी उन्हें परेशान होना पड़ता है।
जनवरी में स्कूल को उसके जीर्ण-शीर्ण मूल भवन से नजदीक में राजीव गांधी सेवा केंद्र में स्थानांतरित कर दिया। वहीं जीर्ण-शीर्ण भवन को तोड़कर नए भवन का निर्माण भी शुरू हुआ। जिसे बनाने की जिम्मेदारी आरडब्ल्यूडी संस्था को दी गई। लेकिन जिस केंद्र में इस समय छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं वहां शौचालय है ही नहीं। यहां वर्तमान में 35 छात्र व 41 छात्राओं समेत कुल 76 छात्रसंख्या है।
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इसके अलावा बिजली न होने से छात्रों ने भीषण गर्मी इसी भवन में बिताई। अब वर्षाकाल शुरू हो चुका है। जबकि नवनिर्मित भवन बनकर पूरी तरह तैयार नहीं हो पाया। ऐसे में आने वाले कुछ महीनों में भी छात्रों को बिना शौचालय वाले केंद्र में ही अध्ययन करना होगा।
हालांकि इस मामले में स्कूल की प्रधानाध्यापक माया शाही ने विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखकर समस्या के बारे में अवगत भी कराया। लेकिन छात्रों के शौचालय व बिजली की समस्या का निस्तारण अभी तक नहीं हो पाया है। उप शिक्षा अधिकारी रायपुर प्रेमलाल भारती ने बताया कि इस मामले में मुख्य शिक्षा अधिकारी को भी पत्र भेजा गया।
स्कूल के नवनिर्मित भवन के कार्यों में तेजी लाने के लिए जल्द ही निर्माणदायी संस्था से जवाब मांगा जाएगा। बिजली की समस्या के समाधान के लिए भी संबंधित विभागीय अधिकारियों से वार्ता करेंगे। चूंकि यह मामला गंभीर है इसलिए इस पर त्वरित कार्य होगी ताकि छात्रों व शिक्षकों को परेशानी न हो।
– प्रदीप कुमार रावत, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून।