इंजी. ललित शौर्य को भोपाल में मिला राष्ट्रीय सम्मान
साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ विकास दवे ने शौर्य के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा की नए साहित्यकारों में ललित विशेष कार्य कर रहे हैं। अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.खीम सिंह ने कहा कि नए साहित्यकारों को सम्मानित कर अच्छा लगता है।
पिथौरागढ़। सीमांत के सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार इंजी. ललित शौर्य को राजा भोज की नगरी भोपाल में कवि रंजन सेन गुप्ता राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मान से सम्मानित किया गया। बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध संस्थान द्वारा मानस भवन भोपाल में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया था। जिसमें देश भर से साहित्यकार जुटे हुए थे। इंजी. ललित शौर्य की साहित्य साधना से प्रभावित होकर शोध संस्थान ने उन्हें कवि रंजन सेन गुप्ता राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मान से सम्मानित किया।
इंजी.ललित शौर्य को शोध संस्थान के निदेशक महेश सक्सेना, अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. खीम सिंह डहेरिया, साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे, बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र मोरे, रामायण केंद्र के अध्यक्ष डां राजेश श्रीवास्तव, शिक्षाविद डॉ. उषा खरे, बाल साहित्यकार नीना सिंह सोलंकी ने संयुक्त रूप से दुसाला, श्रीफल, स्मृति चिह्न, प्रमाण पत्र, नगद धनराशि देकर सम्मानित किया।
बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध संस्थान के निदेशक महेश सक्सेना ने कहा कि इंजी.ललित शौर्य बाल साहित्य में देशभर का चर्चित एवं परिचित नाम है। जिनका बाल साहित्य में योगदान अतुलनीय है। बहुत कम समय में ही शौर्य ने अपनी विशिष्ट पहचाना बना ली है। उनका बाल साहित्य अत्यंत प्रेरक, सरल एवं रोचक है। बाल साहित्य के समस्त तत्व उनकी पुस्तकों में दृषिटगोचर होते हैं।
साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ विकास दवे ने शौर्य के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा की नए साहित्यकारों में ललित विशेष कार्य कर रहे हैं। अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.खीम सिंह ने कहा कि नए साहित्यकारों को सम्मानित कर अच्छा लगता है। शौर्य बाल साहित्य के लिए जो कार्य कर रहे हैं वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है।
इंजी.ललित शौर्य को इससे पूर्व भी कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानीत किया जा चुका है। शौर्य की बाल साहित्य की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। कई भाषाओं में इनकी रचनाओं का अनुवाद हो चुका है। इंजी.ललित शौर्य की इस राष्ट्रीय उपलब्धि पर पिथौरागढ़ के साहित्यकार, बुद्धिजीवी वर्ग में खुशी की लहर है।