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धर्म-संस्कृति

अहिंसा और सत्य का रूप भगवान बुद्ध

अहिंसा और सत्य का रूप भगवान बुद्ध… दानवों को मोहित करने के लिए वे (बुद्ध ) मार्ग में बाल रूप में खड़े हो गये। जिन नामक मूर्ख दैत्य उनको अपनी सन्तान मान बैठा। इस प्रकार श्रीहरि (बुद्ध-अवतार रूप में) सुचारुरूप से अहिंसात्मक वाणी द्वारा जिन आदि असुरों को सम्मोहित कर लिया। #सत्येन्द्र कुमार पाठक

पुराणों, स्मृति ग्रंथों में भगवान बुद्ध का उल्लेख किया गया है। बुद्धावतार भगवान् विष्णु के ९वाँ अवतार एवं तेईसवें अवतार बुद्धावतार है। परन्तु पुराणों के विस्तृत अध्ययन से भागवत स्कन्ध १ अध्याय ६ के श्लोक २४, श्रीं नरसिंह पुराण 36 /29 एवं ललित विस्तार अध्याय 21 पृष्ठ 178 के अनुसार ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम्। बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति॥ अर्थात्, कलयुग में देवद्वेषियों को मोहित करने नारायण कीकट प्रदेश में अजन के पुत्र के रूप में प्रकट हुए थे। बिहार का गया के हेमसदन की भार्या अंजना के पुत्र शाक्य का जन्म आश्विन शुक्ल दशमी तिथि दिन गुरुवार द्वापर युग में हुआ था। भगवान विष्णु के 9 वें अवतार शाक्य (बुद्धावतार ) दैत्यों को मोहित करने तथा प्रजा के शांति के लिए हुए था।

पुराणों में भगवान बुद्ध के उल्लेख हरिवंश पर्व (1.41),विष्णु पुराण (3.18),भागवत पुराण (1.3.24, 2.7.37, 11.4.23) गरुड़ पुराण (1.1, 2.30.37, 3.15.26),अग्निपुराण (16),नारदीय पुराण (2.72),लिंगपुराण (2.71) और पद्म पुराण (3.252) में किया गया है। मोहनार्थं दानवानां बालरूपं पथि स्थितम्।पुत्रं तं कल्पयामास मूढबुद्धिर्जिनः स्वयम् ॥ततः सम्मोहयामास जिनाद्यानसुरांशकान्।भगवान् वाग्भिरुग्राभिरहिंसावाचिभिर्हरिः॥ (ब्रह्माण्ड पुराण १३) बुद्धावतार भगवान् विष्णु के ९वाँ अवतार एवं तेईसवें अवतार बुद्धावतार है। पुराणों के विस्तृत अध्ययन से भागवत स्कन्ध १ अध्याय ६ के श्लोक २४, श्रीं नरसिंह पुराण 36 /29 एवं ललित विस्तार अध्याय 21 पृष्ठ 178 के अनुसार ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम्।

बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति॥ अर्थात्, कलयुग में देवद्वेषियों को मोहित करने नारायण कीकट प्रदेश में अजन के पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। बिहार का गया के हेमसदन की भार्या अंजना के पुत्र शाक्य का जन्म आश्विन शुक्ल दशमी तिथि दिन गुरुवार द्वापर युग में हुआ था। भगवान विष्णु के 9 वें अवतार शाक्य (बुद्धावतार ) दैत्यों को मोहित करने तथा प्रजा के शांति के लिए हुए था। पुराणों में भगवान बुद्ध के उल्लेख हरिवंश पर्व (1.41),विष्णु पुराण (3.18),भागवत पुराण (1.3.24, 2.7.37, 11.4.23) गरुड़ पुराण (1.1, 2.30.37, 3.15.26),अग्निपुराण (16),नारदीय पुराण (2.72),लिंगपुराण (2.71) और पद्म पुराण (3.252) में किया गया है। मोहनार्थं दानवानां बालरूपं पथि स्थितम्।पुत्रं तं कल्पयामास मूढबुद्धिर्जिनः स्वयम् ॥ततः सम्मोहयामास जिनाद्यानसुरांशकान्। भगवान् वाग्भिरुग्राभिरहिंसावाचिभिर्हरिः॥ (ब्रह्माण्ड पुराण १३)।

अर्थात दानवों को मोहित करने के लिए वे (बुद्ध ) मार्ग में बाल रूप में खड़े हो गये। जिन नामक मूर्ख दैत्य उनको अपनी सन्तान मान बैठा। इस प्रकार श्रीहरि (बुद्ध-अवतार रूप में) सुचारुरूप से अहिंसात्मक वाणी द्वारा जिन आदि असुरों को सम्मोहित कर लिया। हिन्दू ग्रन्थों में भगवान बुद्ध की चर्चा हुई है। बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति (श्रीमद्भागवत) बुद्ध के माता अजन’ और जन्म ‘कीकट’ में होने की चर्चा है।। अर्थात दानवों को मोहित करने के लिए वे (बुद्ध ) मार्ग में बाल रूप में खड़े हो गये। जिन नामक मूर्ख दैत्य उनको अपनी सन्तान मान बैठा। इस प्रकार श्रीहरि (बुद्ध-अवतार रूप में) सुचारुरूप से अहिंसात्मक वाणी द्वारा जिन आदि असुरों को सम्मोहित कर लिया। हिन्दू ग्रन्थों में भगवान बुद्ध की चर्चा हुई है। बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति (श्रीमद्भागवत) बुद्ध के माता अजन’ और जन्म ‘कीकट’ में होने की चर्चा है।

बौद्ध धर्म में शाक्यमुनि, शाक्य तुप-पा शाक्यमुनि, वज्रप्रमर्डī दोर्जे निंग्पो राप्तु जोम्पा वज्र सार के साथ पूरी तरह से विजय प्राप्त की,रत्नारिणी रिनचेन ओ-ट्रो दीप्तिमान गहना, नागेश्वर राज :लुवांग जी गेलपो राजा, नागाओं के भगवान,वीरसेन पावो-देनायकों की सेना,वरानंदी पावो-ग्य प्रसन्न नायक,रत्नाग्नि में रिनचेन-मे ज्वेलफायर,रत्नचंद्रप्रभा रिनचेन दा-ओ गहना चांदनी,अमोघदारसी में टोंगवा डोन्योस सार्थक दृष्टि, रत्नचंद्र मैं रिनचेन दावा ज्वेल मून, विमला में ड्रिमा मेपास स्टेनलेस एक,रादत्त पा-जिन शानदार देना, ब्रह्मा त्संगपा शुद्ध ब्रह्मदत्त त्संगपे जिनो पवित्रता देना वरुण चू ल्हा जल देव,वरुणदेव: में चू लहे ल्हा जल देवताओं के देवता,भद्राश्री में पेल-ज़ांगो गौरवशाली अच्छाई, कंदनारी में त्सेनडेन पेले गौरवशाली चंदन, अनंतौजसी मैं जिजी तय अनंत वैभव,प्रभाश्री मेंओ पेले शानदार रोशनी,अशोकश्री में न्यांगेन मेपे पेले दु:खरहित महिमा,नारायणन सेमे कयि बू गैर-लालसा का पुत्र,कुसुमाश्री में मेटोक पेलु शानदार फूल है।

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अहिंसा और सत्य का रूप भगवान बुद्ध... दानवों को मोहित करने के लिए वे (बुद्ध ) मार्ग में बाल रूप में खड़े हो गये। जिन नामक मूर्ख दैत्य उनको अपनी सन्तान मान बैठा। इस प्रकार श्रीहरि (बुद्ध-अवतार रूप में) सुचारुरूप से अहिंसात्मक वाणी द्वारा जिन आदि असुरों को सम्मोहित कर लिया। #सत्येन्द्र कुमार पाठक

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