अब तेजी से सुनाई दे रही है भाजपा की ‘रामधुन’…जानिए क्या है सियासी जानकारों का मानना
सीएम धामी अपने मंत्रिमंडल के साथ रामलला के दर्शन के लिए दो फरवरी को अयोध्या जा रहे हैं। उनके बाद पार्टी वरिष्ठ नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की बारी है। कुल मिलाकर रणनीति यही है कि चुनाव से पूर्व पांचों लोकसभा सीटों पर विपक्ष सत्तारोधी रुझान के सुर बजाने का जतन करे तो ये रामधुन में दब जाए।
देहरादून। अयोध्या में रामलला के विराजमान होने के बाद अब भाजपा की ‘रामधुन’ सुनाई दे रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का माहौल गरमाएगा, भाजपा उतनी ही तेजी से रामधुन में रमती दिखेगी। बयानों, प्रतीकों, गीतों और धर्म-कर्म के आयोजनों में गुंजायमान हो रही रामधुन से भाजपा का कार्यकर्ता उत्साहित है, लेकिन विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस भी अपनी राजनीतिक धुनों से मुकाबला करने की रणनीति बना रहा है।
रामलहर के आगे उसकी यह रणनीति कितनी कारगर होगी, ये आगे का सियासी माहौल बताएगा, लेकिन भाजपा ने राम लहर का प्रभाव बनाए रखने की योजना बना ली है। पार्टी इस मुद्दे को आसानी से छोड़ने वाली नहीं है। इसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान से समझा जा सकता है, जो उन्होंने बृहस्पतिवार को रुड़की में युवा मोर्चा के नमो नवमतदाता सम्मेलन के दौरान दिया। धामी ने कहा, भगवान राम आज अयोध्या में विराजमान हो गए हैं। यह हमारे लिए गौरव की बात है। यह वोट की ही देन है, जो अयोध्या में भगवान राम विराजे हैं।
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आपके एक वोट से ही आज उत्तराखंड सरकार कठिन निर्णय लेने का काम कर रही है। जाहिर है कि भाजपा रामधुन को रामलहर में बदलने के लिए चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ रही है। इसके लिए संगठन स्तर पर खास योजना बनाई गई है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह काम दिया गया कि वे अयोध्या में रामजन्मभूमि के लिए चले आंदोलन, कारसेवकों के बलिदान और रामलला के वहां विराजमान होने तक की संघर्ष यात्रा को जन-जन तक बताएं।
अधिक से अधिक लोगों के बीच इसकी चर्चा करें। इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लें। धार्मिक व्यक्तियों को साथ जोड़ें और उनके जरिये संदेश फैलाएं। पार्टी ने यह योजना भी बनाई कि राज्य से जो लोग अयोध्या जाएं तो उनकी सुविधा के लिए पार्टी कार्यकर्ता वहां मौजूद रहें, इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं की टोलियां बनाकर उन्हें सिलसिलेवार अयोध्या जाने के निर्देश हुए हैं।
सीएम धामी अपने मंत्रिमंडल के साथ रामलला के दर्शन के लिए दो फरवरी को अयोध्या जा रहे हैं। उनके बाद पार्टी वरिष्ठ नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की बारी है। कुल मिलाकर रणनीति यही है कि चुनाव से पूर्व पांचों लोकसभा सीटों पर विपक्ष सत्तारोधी रुझान के सुर बजाने का जतन करे तो ये रामधुन में दब जाए।