साहित्य लहर
कविता : यह कैसा तांडव
कहीं सत्संग में भगदड मचने से सैकड़ों की तादाद में धर्मप्रेमी मारे जा रहे हैं हे प्रभु ! रक्षा कीजिए और इस तांडव को रोकिए हमें बस आप पर ही भरोसा है… #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
हे धरती माता ! यह कैसा तांडव हैं
कोई गर्मी से जूझ रहा है तो
कोई बरसात को तरस रहा हैं
कहीं बरसात अपना तांडव मचा रहीं हैं
कहीं सत्संग में भगदड मचने से
सैकड़ों की तादाद में
धर्मप्रेमी मारे जा रहे हैं
हे प्रभु ! रक्षा कीजिए और
इस तांडव को रोकिए
हमें बस आप पर ही भरोसा है
चूंकि
आप ही हमारे पालनहार हो