साहित्य लहर
कविता : धूप खिलने से पहले

सुबह जगने के बाद गाना सूरज का धूप खिलने से पहले दरवाजे पर आकर मुस्कुराना नींद में खोई रही रात हवा को देखकर अक्सर करती रही बहाना # राजीव कुमार झा
नींद में सपने जगाते
जो लोग इनमें खो जाते
नींद में भटक कर
अजनबी जगहों में
जाकर
पलभर ही सही लेकिन
अपने कुछ दिन
अकेले कहीं घूमते बिताते
अंधेरे से उजाले में आना
चांद का मुस्कुराना
अब भरोसे से कभी
प्यार कर पाना
यादों का गीत
सुबह जगने के बाद
गाना
सूरज का धूप खिलने से
पहले
दरवाजे पर आकर
मुस्कुराना
नींद में खोई रही रात
हवा को देखकर
अक्सर करती रही बहाना