
सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, जोधपुर, राजस्थान
धन्यवाद एक छोटा-सा शब्द है, लेकिन जब आप किसी को धन्यवाद कहते हैं तो सामने वाले का मनोबल बढ़ता है और उसमें एक नई शक्ति व ऊर्जा का संचार होता है। आपके एक शब्द “धन्यवाद” से सामने वाले को जो प्रोत्साहन मिलता है, वह किसी अनमोल उपहार से कम नहीं होता। समय-समय पर लोगों को उनके किए गए कार्यों के बदले में यदि हम कोई उपहार नहीं दे सकते तो धन्यवाद के मीठे बोल तो अवश्य कह सकते हैं। इसमें धन-दौलत का कोई व्यय नहीं होता, बल्कि आपसी प्रेम, स्नेह और अपनत्व का भाव बढ़ता है, जिससे हमारे आपसी संबंध और मजबूत होते हैं।
सुनील को आरम्भ से ही लेखन का शौक था। उनके आलेख स्थानीय, राज्य व राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे। धर्म के प्रति गहरी आस्था होने के कारण वे भागवत कथा के समाचार भी समाचार पत्रों में भेजते थे और वे धड़ल्ले से प्रकाशित भी होते थे। सुनील की इस आस्था को देखकर कथावाचक रामचन्द्र महाराज ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा—
“आप धन्यवाद के पात्र हैं, जो भागवत कथा का व्यापक प्रचार-प्रसार कर पुण्य लाभ कमा रहे हैं।”
सुनील के लिए किसी संत-महात्मा का आशीर्वाद किसी अनमोल उपहार से कम नहीं था। इसी प्रकार हमें भी चाहिए कि हम केवल बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी उनके द्वारा किए गए नेक कार्यों के लिए धन्यवाद अवश्य दें।
यह शब्द भले ही छोटा है, लेकिन इसका प्रभाव दिल की गहराइयों तक पहुँचता है, जिसे देने वाला और पाने वाला ही महसूस कर सकता है। यदि आप अब तक धन्यवाद देने में कंजूसी करते आए हैं, तो आज और अभी से धन्यवाद देना आरम्भ कीजिए।
Nice
True