
ऋषिकेश/कर्णप्रयाग (चमोली) | सूर्य उपासना के महापर्व छठ का आज विधिवत समापन हुआ। तड़के से ही श्रद्धालु बड़ी संख्या में घाटों पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने लगे। इस अवसर पर प्रदेशभर में पूर्वांचल समुदाय और स्थानीय लोगों ने उत्साह और आस्था के साथ भाग लिया। देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, कर्णप्रयाग और कुमाऊं क्षेत्र के घाटों पर छठी मइया के गीतों की गूंज रही, वहीं महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर पूजा सामग्री के साथ घाटों पर पहुंचकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर सुबह के समय व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को जल अर्पित किया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नगर प्रशासन और पुलिस की ओर से विशेष प्रबंध किए गए थे। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने भी सपरिवार प्रेमनगर स्थित टोंस नदी के घाट पर पहले अस्ताचलगामी और फिर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना की।
चमोली जिले के कर्णप्रयाग क्षेत्र में संगम तटों और आसपास के जलाशयों पर भी व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान स्थानीय लोगों और प्रवासी समुदाय ने मिलकर सामूहिक पूजा का आयोजन किया। घाटों पर महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाए और पूजा के दौरान छठ मइया की स्तुति की।
देहरादून, हरिद्वार और कुमाऊं क्षेत्र में भी छठ पर्व की भव्यता देखने लायक रही। कई घाटों पर रविवार शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने सोमवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन किया। इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद शांति और व्यवस्था बनी रही।
छठ पर्व की छटा इस बार केवल मैदानी इलाकों तक सीमित नहीं रही, बल्कि पहाड़ों के गांवों में भी छठ पूजा का उल्लास देखने को मिला। महिलाएं घाटों और तालाबों पर सजी धजी थालियों के साथ पहुंचीं, जिनमें फल, ठेकुआ और पूजा सामग्री रखी गई थी। सूर्य देव की उपासना और छठ मइया की आराधना से पूरे प्रदेश में आस्था, उत्साह और पारिवारिक एकता का संदेश फैलता नजर आया। श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर प्रदेश में शांति, सौहार्द और समृद्धि की मंगल कामना की।






