साहित्य लहर
झुकी झुकी सी नजर
बालकृष्ण शर्मा
कुछ कह रही है ये नज़र, झुकी झुकी सी है।
कुछ कह रही है ये नज़र, झुकी झुकी सी है।
ओठों पे बोल हैं कुछ, जुबाँ रुकी रुकी सी है।
कुछ कह रही है ये नज़र, झुकी झुकी सी है।
चाल है मदमस्त, माथे पे लट गिरी गिरी सी है।
कुछ कह रही है ये नज़र, झुकी झुकी सी है।
पहली नजर का प्यार है शायद, चाल बहकी बहकी सी है।
कुछ कह रही है ये नज़र, झुकी झुकी सी है।
ओठों पे बोल हैं कुछ, जुबाँ रुकी रुकी सी है।
कुछ कह रही है ये नज़र, झुकी झुकी सी है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »बालकृष्ण शर्मालेखकAddress »बी-006, रेल विहार सीएचएस, प्लॉट नं. 01, सेक्टर 04, खारघर, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|