
सुनील कुमार माथुर
सदस्य, अणुव्रत लेखक मंच, जोधपुर, राजस्थान
जोधपुर। संयमित जीवन शैली में बड़ी शक्ति होती है और यही वजह है कि संयमित जीवन शैली के अनुसार अपने जीवन में आगे बढ़ने वाले व्यक्ति को कभी भी बाधाएँ आगे बढ़ने से नहीं रोक सकतीं और व्यक्ति अपने लक्ष्यों को हासिल करके ही रहता है। यह उद्गार साहित्यकार एवं अणुव्रत लेखक मंच की प्रभारी उपाध्यक्ष डॉ. कुसुम लूनिया ने अखिल विश्व भारतीय सोसायटी व अणुव्रत लेखक मंच द्वारा झूम पर ऑनलाइन आयोजित संगोष्ठी “सफलता का सूत्र : संयमित जीवन शैली” विषय पर मुख्य प्रवक्ता के रूप में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि सफलता का अर्थ है — जो हमारे नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हमें अहिंसा का पाठ पढ़ाया। संयम का अर्थ जीवन में एकाग्रता, स्पष्टता और शांति है। उन्होंने कहा कि संयमित जीवन शैली के विभिन्न आयामों को जीवन में अपनाना चाहिए। इसके लिए शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति और मानसिक संतुलन से जीवन शैली को संयमित करना होगा।
साहित्यकार सुनील कुमार माथुर ने बताया कि डॉ. कुसुम लूनिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का सम्पूर्ण जीवन संयमित रहा। इसी प्रकार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी संघर्ष के साथ संयमित जीवन शैली को अपनाकर निरंतर आगे बढ़ना जारी रखा। वे कभी भी किसी के आगे झुकी नहीं, रुकी नहीं। वे केवल राष्ट्र सेवा के संकल्प के साथ आगे बढ़ती रहीं और आज भी बढ़ रही हैं। यही वजह है कि उनकी विनम्रता और शालीनता हमारे लिए गौरव की बात है।
डॉ. कुसुम लूनिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि वे संयम के सूत्र को अपने जीवन में अपनाकर आगे बढ़ रहे हैं और उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भी संयम का परिचय दिया व देश की जनता को युद्ध में नहीं धकेला। चूंकि उनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं है। डॉ. लूनिया ने समय, आहार, व्यय, विचारों, टेक्नोलॉजी, वाणी और संसाधनों पर संयम बरतने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के दौरान आयोजित प्रश्नोत्तरी में साहित्यकार सुनील कुमार माथुर, जिनेन्द्र कुमार कोठारी, आनंद हर्षा, डॉ. लता अग्रवाल, अविनेश कुमार, रवि बोथरा और रमेश जैन द्वारा पूछे गए सवालों का उदाहरण सहित सटीक जवाब दिया गया। इस अवसर पर जिनेन्द्र कुमार कोठारी, अविनाश नाहर, संतोष सुराणा और मीनू बरदिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में कार्यक्रम के सह-संयोजक संतोष सुराणा ने सभी साहित्यकारों के प्रति आभार व्यक्त किया।