
🌊 यक्षवती नदी संरक्षण यात्रा 2025 का शुभारंभ
पिथौरागढ़ जनपद की सांस्कृतिक और पारंपरिक चेतना की प्रतीक यक्षवती नदी को उसके मूल स्वरूप में पुनः स्थापित करने के लिए आज एक ऐतिहासिक स्वैच्छिक पहल शुरू हुई। ‘रईगाड’ नाम से विख्यात यह नदी अतिक्रमण, प्रदूषण और उपेक्षा के कारण संकट में है। इसे बचाने के लिए जिले के युवाओं, साहित्यकारों, समाजसेवियों और सैन्य व पर्यावरणीय संगठनों ने एकजुट होकर “यक्षवती संरक्षण एवं संवर्धन यात्रा 2025” की शुरुआत की।
🚶 सिलपाटा से रई तक जागरूकता यात्रा
यात्रा की शुरुआत सिलपाटा गांव से रई तक की गई जिसमें युवाओं, बुजुर्गों, शिक्षकों और पर्यावरणविदों ने भाग लिया। यात्रा के दौरान नदी को स्वच्छ बनाए रखने, अतिक्रमण से मुक्त करने और उसकी सांस्कृतिक महत्ता को समझाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया गया।
- यात्रा में पहाड़ी वोकल्स यूथ क्लब, नेहरू युवा केंद्र, शिक्षक एवं लेखक महेश पुनेठा, करन तिवारी आदि अग्रणी रहे।
- पत्रकार हिमांशु जोशी और हरेला सोसाइटी अध्यक्ष मनोज मतवाल के निर्देशन में यक्षवती पर आधारित लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
📚 नेडा में आयोजित हुई विचारगोष्ठी
स्थानीय मा. कृपा बारातघर, नेडा में पहाड़ी वोकल्स यूथ क्लब और अभिलाषा समिति के संयुक्त तत्वावधान में एक विचारगोष्ठी आयोजित हुई। इस गोष्ठी में नदी के वर्तमान हालात, उसके सांस्कृतिक पहलुओं और पुनर्जीवन की रणनीतियों पर चर्चा की गई।
👥 विचारमंच पर जुटे विशेषज्ञ और जनप्रतिनिधि
गोष्ठी में अनेक गणमान्य नागरिक, संस्थाओं के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ शामिल हुए, जिनमें प्रमुख रहे:
- किशोर पंत (अभिलाषा समिति)
- मनोज मतवाल (हरेला सोसाइटी)
- महेश पुनेठा, प्रकाश पुनेठा, दीवान देवलाल, जीवन नगरकोटी
- जगदीश कलौनी (मनरेगा लोकपाल)
- केशवदत्त मखौलिया (पूर्व सूबेदार, किसान भूषण पुरस्कार प्राप्त)
- ले. यशपाल चंद
- विनीता कलौनी (मुस्कान समिति)
- चंद्र शेखर पुनेड़ा (उक्रांद जिलाध्यक्ष)
- विप्लव भट्ट (नन्ही चौपाल निदेशक)
- बसंत बल्लभ भट्ट (हिमालय मस्तक फाउंडेशन)
- पं. हेमंत महाराज (अंतर्राष्ट्रीय कत्थक नृतक)
- डॉ. नीरज जोशी, सुरेंद्र धामी, योगेंद्र चंद (प्रेमजी फाउंडेशन)
- 130 इको टास्क फोर्स के प्रतिनिधि कुंडल सिंह
सभी वक्ताओं ने यक्षवती को मात्र जलधारा न मानते हुए, उसे “सांस्कृतिक चेतना, जैव विविधता और पारंपरिक जीवनशैली की आत्मा” बताया।
📢 आगामी योजनाएं और जनसंकल्प
गोष्ठी में तय किया गया कि यक्षवती संरक्षण के लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जिसमें सभी सामाजिक संगठन, पर्यावरणविद्, शिक्षण संस्थान और सरकारी एजेंसियां मिलकर काम करेंगी। उपस्थित सभी लोगों ने नदी संरक्षण के लिए सामूहिक संकल्प लिया और इसे “भविष्य की पीढ़ियों के लिए अमूल्य उपहार” बताया।
🌿 यह केवल शुरुआत है…
यक्षवती नदी के पुनर्जीवन की यह यात्रा केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन है — हमारी स्मृति, प्रकृति और संस्कृति को बचाने का। इस अभियान ने यह साबित कर दिया है कि जब समाज स्वयं आगे आता है, तो बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान संभव है।
📍 विशेष आह्वान
यदि आप भी इस यात्रा से जुड़ना चाहते हैं, तो पहाड़ी वोकल्स यूथ क्लब या अभिलाषा समिति से संपर्क करें। एक नदी का जीवन, हजारों का भविष्य तय करता है।
“जल केवल जीवन नहीं, हमारी स्मृति, संस्कृति और चेतना भी है। यक्षवती नदी के संरक्षण का यह प्रयास केवल एक नदी को नहीं, बल्कि पूरे समुदाय को पुनर्जीवित करने की ओर कदम है। यह पहल बताती है कि जब समाज जागरूक होता है, तो परिवर्तन सुनिश्चित होता है।”
— सम्पादक