साहित्य लहर
कोई खोले इन बंद घरों के दरवाजों को…

नितिन बिष्ट
कभी इन घरों में
लोग रहा करते थे
एक पूरा परिवार
एक पूरा गाँव बसा करता था
जहां दूर दूर तक
तुम्हारी नजरें जाती है
वहां तक खेती होती थी
ये सीढीनुमा खेत
सरसों की पीली साड़ी पहने
बड़े इठलाते थे
बाठ देखती रहती है अब
गांव की ये संकरी गलियां
कि कब कौन आये और
खोले इन बंद घरों के दरवाजों को..
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »नितिन बिष्टकविAddress »अशोक नगर, नंगल तशी, सरधना, बाई पास रोड, कंकर खेरा, मेरठ कैंट (उत्तर प्रदेश)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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