
सत्येन्द्र कुमार पाठक
सनातन धर्म और शाक्त संप्रदाय में शक्ति की उपासना का गहरा महत्व है। ब्रह्मांड को संचालित करने वाली आदि शक्ति की अवधारणा भारतीय संस्कृति में सदियों से पूजनीय रही है। इसका प्रमुख पर्व शारदीय नवरात्रि है, जो आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होता है। यह नौ दिवसीय उत्सव देवी दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री – की आराधना के लिए समर्पित है।
नवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि आस्था, विज्ञान और संस्कृति का संगम है। यह पर्व मानसिक और शारीरिक शुद्धि का संदेश देता है। शुभारंभ घट स्थापना या कलश स्थापना से होता है। कलश सुख, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलश में ब्रह्मांड की शक्ति तत्वों का आवाहन किया जाता है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मिट्टी का कलश पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें गंगाजल, मौली, सुपारी, पंचरत्न, आम के पत्ते, सिक्के और नारियल रखे जाते हैं।
कलश स्थापना के बाद माता की चौकी स्थापित की जाती है और अखंड ज्योत जलती रहती है। इस दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ और नौ दिनों का व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व भी है। यह पर्व ऋतु परिवर्तन के समय आता है, जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। व्रत और पूजा-पाठ शरीर और विचारों की शुद्धि का वैज्ञानिक तरीका हैं। हल्का और सात्विक भोजन पाचन तंत्र को आराम देता है और विषैले पदार्थों से मुक्त करता है।
हवन और यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है। इसमें डाली जाने वाली जौ, तिल, घी और औषधीय जड़ी-बूटियाँ जलकर हवा में हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट करती हैं। मंदिरों के परिसर में नीम और समी के पेड़ वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं। भारत में शक्ति की उपासना के कई ऐतिहासिक केंद्र हैं। बिहार में अरवल जिले का करपी स्थल शाक्त धर्म और सौर धर्म का केंद्र रहा है। यहाँ जगदम्बा मंदिर, शिवलिंग, चतुर्भुज भगवान और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ महाभारत कालीन मानी जाती हैं। गया जिले के केसपा गाँव में माँ तारा देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार माता तारा ने भगवान शिव को हलाहल विष से बचाया।
भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में मुंडेश्वरी मंदिर (बिहार), कैलाश मंदिर (एलोरा), बादामी गुफा मंदिर (कर्नाटक), बृहदेश्वर मंदिर (तमिलनाडु), शोर मंदिर (महाबलीपुरम) आदि शामिल हैं। इनके अलावा सोमनाथ, लिंगराज, कोणार्क सूर्य मंदिर और ब्रह्मा मंदिर जैसे अनेक मंदिर भारतीय स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण हैं। शक्ति पीठ वे स्थल हैं जहाँ देवी सती के अंग गिरे थे।
इनमें कामाख्या (असम), ज्वालामुखी (हिमाचल प्रदेश), वैष्णो देवी (जम्मू और कश्मीर), अंबा जी (गुजरात), मंगल गौरी (बिहार) प्रमुख हैं। भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी शक्ति पीठ स्थित हैं। अन्य महत्वपूर्ण शक्ति केंद्रों में दक्षिणेस्वर काली मंदिर (कोलकाता), चामुंडेश्वरी मंदिर (मैसूर), मीनाक्षी अम्मन मंदिर (मदुरै) शामिल हैं। ये मंदिर ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति के रूप में देवी की पूजा और भारतीय सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं।
सत्येन्द्र कुमार पाठक
स्थायी पता: करपी, अरवल, बिहार 804419
वर्तमान पता: माधवनगर, रोड नम्बर 4, काकोरोड, आर एस, जहानाबाद, बिहार 804417
मोबाइल नंबर: 9472987491