सावन ने पानी बरसाया

कविता नन्दिनी अबकी सावन ने आकर के झमझम पानी बरसाया प्यास बुझी धरती जीवन की तन मन सबका हर्षाया बस्ती के घर -घर में पाया भीतर बाहर पानी था जीवन था जंजाल बन गया काल बन गया पानी था मन में जब इतनी दहशत हो नहीं सुहाता सावन है बादल की गरजन से दहला बच्चों … Continue reading सावन ने पानी बरसाया