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साहित्य लहर

कविता : रंगोली अदिति की

कवि प्रणव भास्कर तिवारी ‘शिववीर’
पूरे ब्राह्मण, महुलारा, राम सनेही घाट, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश

सखी संग अदिति हरषे, दिखे रंग चहुँ ओर।
जो रंगोली में यहाँ, सजे दीप अरु मोर।।
सजे दीप अरु मोर, धरती पर रंग झड़ते।

मनमोहनी गुलाल, दिखलाई यहाँ पड़ते।
कला अलौकिक आज, इक रंगोली में दिखी।
प्रमुदित मन शिववीर, खिलखिलाती सभी सखी।।

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