कविता : मोबाइल… इसके हाथ में आते ही, बच्चे से लेकर बूढ़े तक ऐसे खो जाते हैं, फिर ना किसी की सुनते हैं ना देखते हैं, न बोलते हैं। अपनी एक अलग ही दुनिया मैं खोए रहते हैं। मार्टिन कूपर ने… ✍️ राही शर्मा इस मोबाइल ने बहुतों का दिमाग बिगाड़ रखा है। कई बार लोग … Continue reading कविता : मोबाइल
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