आंखें पथरा जाती या फिर हो जाती मदहोश देखकर किसी दृश्य को तब होने लगती https://devbhoomisamachaar.com/wp-content/uploads/2025/02/Video-National-Games-2025.mp4 कवि मन में हलचल या फूटने लगते विद्रोह के स्वर थामने को फिर मस्तिष्क करता प्रेरित अंगुलियों को विचरने लगती कलम कागज पर और होने लगती अठखेलियां शब्दों की… व्यग्र पाण्डे (कवि/लेखक), कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी (राज.) 322201 (भारत) … Continue reading कविता : अठखेलियां शब्दों की
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