
देहरादून। नैनीताल ज़िला पंचायत चुनाव में कथित गड़बड़ियों को लेकर दायर याचिका पर गुरुवार को हाईकोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। इस मामले में अब सबकी नज़रें अदालत और राज्य निर्वाचन आयोग पर टिकी हैं। दरअसल, बीते दिनों इस मामले में हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि चुनाव प्रक्रिया पर आई शिकायतों और आपत्तियों की जाँच कर अपनी राय स्पष्ट करे। अदालत ने यह भी कहा था कि आयोग अपना निर्णय लिखित रूप से हाईकोर्ट को उपलब्ध कराए।
इस आदेश के बाद नैनीताल की डीएम और एसएसपी को राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश होना पड़ा, जहाँ उन्होंने चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी पूरी जानकारी और अपना पक्ष रखा। सूत्रों के मुताबिक आयोग ने मामले की समीक्षा कर अपनी राय तैयार कर ली है और उसे हाईकोर्ट को भेज दिया है। लेकिन आयोग ने क्या फैसला लिया है, इसका खुलासा गुरुवार की सुनवाई के दौरान ही हो पाएगा।
इस मामले की सुनवाई को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल है। पंचायत चुनाव स्थानीय राजनीति और नेतृत्व के लिए बेहद अहम माने जाते हैं, ऐसे में गड़बड़ी के आरोपों और आयोग की भूमिका पर उठ रहे सवालों ने इसे और संवेदनशील बना दिया है। हाईकोर्ट का फैसला न केवल नैनीताल ज़िले बल्कि राज्य के अन्य जिलों के चुनावी माहौल को भी प्रभावित कर सकता है।
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नैनीताल पंचायत चुनाव विवाद सिर्फ़ एक जिले की समस्या नहीं, बल्कि यह पूरे प्रदेश की चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
- क्या चुनाव आयोग स्थानीय स्तर पर हो रही अनियमितताओं पर सख्ती से कार्रवाई करता है?
- क्या प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए?
- क्या ग्रामीण स्तर पर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए नए क़ानून या तकनीकी सुधार (जैसे डिजिटल वोटिंग या लाइव मॉनिटरिंग) की ज़रूरत है?
- अगर चुनावी गड़बड़ियों पर समय रहते कार्रवाई न हो तो क्या यह लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर नहीं करता?
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