
सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, जोधपुर, राजस्थान
नवीनतम टेक्नोलॉजी क्या आई है कि आज हम अपने आप को आधुनिक कहते नहीं थकते हैं।लेकिन इस तकनीकी युग ने हमारी सभ्यता और संस्कृति को मटियामेट कर दिया है।हम आज आदर्श संस्कारों को भूल गये हैं। बात बात पर हिंसा पर उतारू हो जाते हैं।लोगों ने गम भुलाने के बहाने नाना प्रकार का नशा करना आरम्भ कर दिया है।नारी की अस्मिता आज हर कदम पर खतरे में हैं।बाहर तो क्या वह अपने घर में भी सुरक्षित नहीं है।फैशन के नाम पर अथवा पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के चलते तन पर कपड़े कम होते जा रहे हैं।इंसान ऐसा लगता है कि मानों वह इंसान न रहकर कोई बेहरुपिया बन गया हैं।हमारी भारतीय संस्कृति हमें ऐसा नहीं सीखाती हैं।
हमारी भारतीय संस्कृति हमें अणुव्रत जीवन शैली सिखाती है।अणुव्रत एक अहिंसक और संयम प्रधान सम्पूर्ण जीवन शैली हैं।यह जीवन शैली जहां व्यक्ति को नैतिक चेतना का जागरण कर स्व कल्याण का आधार तैयार करती है वही समाज और विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती हैं।अणुव्रत दर्शन व्यक्ति सुधार को समाज सुधार की बुनियाद मानता हैं फिर हम क्यों अनैतिक कार्य कर अपने जीवन को नरक मय बना रहें।अणुव्रत आंदोलन को अंगीकार कर जीवन को स्वर्णिम बनाए।
सिर्फ मुस्कुराते रहिए और सुखी रहिए।मित्र, पुस्तक, रास्ता और विचार गलत हो तो गुमराह कर देते हैं और यदि सही हो तो जीवन बना देते हैं।अतः परोपकार कीजिए।मांस, मदिरा, हिंसा, छल कपट और अनैतिक कार्य से दूर रहिए।
Nice article
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