रामचरितमानस की गरिमा को कायम रखना जरूरी
रामचरितमानस की गरिमा को कायम रखना जरूरी, इसलिए रामचरितमानस का समाज में काफी प्रचार प्रसार हुआ और इसकी कथा का श्रवण सबके लिए ईश्वर प्राप्ति का सच्चा मार्ग और मोक्षदायक सिद्ध हुआ। गांधी जी भी तुलसीदास का भजन गाते थे। रामचरितमानस की एक – एक चौपाई अत्यंत पावन है. #राजीव कुमार झा
रामचरितमानस को हिन्दू अपना सबसे पवित्र ग्रंथ मानते हैं। अक्सर इस ग्रंथ में किसी प्रसंग के संदर्भ में उल्लिखित पंक्तियों को लेकर देश की राजनीति में सक्रिय कुछ नासमझ लोग तुलसीदास और रामचरितमानस के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां करके समाचार की सुर्खियों में आने की चेष्टा करते हैं और बिहार में राजद नेता और मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस के बारे में दिए गये ताजा बयान मौजूदा दौर में चर्चा के दायरे में हैं। चन्द्रशेखर के रामचरितमानस विषयक बयान की निंदा नित्यानंद राय के द्वारा भी कई गयी है और सारी दुनिया जानती है कि सूरदास के अलावा तुलसीदास के प्रति भी यादवों में काफी आस्था और प्रेम का भाव विद्यमान रहा है।
यह सराहनीय है कि बिहार के राजद नेता तेजस्वी यादव ने तुलसीदास के प्रति चन्द्रशेखर के बयान को लेकर उन्हें फटकार लगाई है। चन्द्रशेखर की तुलना में तेजस्वी यादव काफी कम पढ़े लिखे नेता कहे जाते हैं। तुलसीदास के बारे में तेजस्वी यादव को कम से कम अगर इतना ज्ञान है तो फिर राजद में अब आगे इस पार्टी के नेता शायद ऐसे गैरजिम्मेदाराना वक्तव्यों से दूर रहेंगे सारे लोग ऐसी आशा चन्द्रशेखर से करते हैं। चन्द्रशेखर को हिन्दुओं से माफी मांगनी चाहिए। वह बिहार की राजनीति में पढ़े – लिखे आदमी माने जाते हैं। आज रामचरितमानस के बारे में जिसको जो मन में आता है उसको लोग बोलते रहते हैं।
किशोरी की हत्या कर पेड़ से लटकाया शव
Read This
उनका उद्देश्य कभी राजनीति में ऊंची जाति के लोगों के विद्यमान वर्चस्व और उनकी राजनीति का हवाला देकर स्वार्थ की रोटियां सेंकना रहता है तो कभी दलितों का समर्थन पाना भी उनके सरोकारों का विषय होता है। चन्द्रशेखर को मैं ज्यादा नहीं जानता हूं लेकिन इतना समझता हूं कि चन्द्रशेखर को तुलसीदास के बारे में ज्ञान नहीं है। तुलसीदास कबीर की तरह ही हैं और कबीर की तरह बाल्यकाल में वह भी निराश्रित रहे। नीरु नीमा की तरह नरहरि दास ने उनका पालन पोषण किया था और समाज में जनसाधारण के जीवन को उन्होंने भी कबीर की तरह से काफी निकट से देखा था।
बाद में भारतीय सभ्यता और संस्कृति से अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हुए उन्होंने रामचरितमानस की रचना की और मध्य काल के पतनशील सामाजिक राजनीतिक परिवेश में राम के रूप में ईश्वर की लीला के बारे में बताते हुए जनमानस की जीवन चेतना को अमरता का अमोघ मंत्र प्रदान किया। उनका न तो दलितों यानी निम्न जाति के लोगों से कोई विरोध है और न ही वह मुसलमानों के विरोधी हैं। अकबर के सेनापति और प्रसिद्ध कवि रहीम तुलसीदास का काफी अंदर करते थे और उनके मित्रों में एक माने जाते हैं।
रामचरितमानस के बारे में यह सर्व सम्मति से कहा जा सकता है कि आखिर यह एक साहित्यिक ग्रंथ है और इसमें हिन्दू जनमानस की आस्था है। बिहार के राजद नेता चन्द्रशेखर इसे सायनाइड बताने से पहले ठीक से पढ़ें । शायद पीएचडी करने के बावजूद उन्होंने इसे नहीं पढ़ा है। यह ज्ञान का अमृत कुंभ है। भारतीय सभ्यता संस्कृति की गाथा के अलावा मानवीयता पर आधारित सामाजिक व्यवस्था और सदाचार का चित्रण तुलसीदास ने इसमें किया है। इसके पहले भी उत्तर प्रदेश के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस के बारे में अभद्र टिप्पणियां की थीं और इसके बाद पुलिस ने उनसे पूछताछ की थी।
उस वक्त भी अपने लेख में मैंने लोगों की इन हरकतों को अवांछनीय कहा था।चन्द्रशेखर के रामचरितमानस विषयक बयान की जांच सरकार को कराना चाहिए। उनको क्या मतलब है कि उसमें क्या लिखा हुआ है और उसका क्या अर्थ है। तुलसीदास ने नाना प्रकार की बातें जो निगमों और पुराणों से सम्मत हैं, उसे उन्होंने अपने प्रतिपादन में शामिल किया है। आखिर हमारे देश में अगर लोकतंत्र है और यहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अगर प्रदान की गयी है तो इसका तात्पर्य यह नहीं है कि तुलसीदास या इनकी तरह के अन्य महापुरुषों का किसी राजनीतिक संदर्भ में अनादर किया जाय और जातीयता की चेतना को समाज में हवा दी जाय।
सिपाही कर रहा था स्मैक तस्करी, लालकुआं में गिरफ्तार
Read This
यह सही है कि तुलसीदास मध्य काल के कवि थे और इस काल के कवियों में अगर निर्गुण मत के कवियों को छोड़ दिया जाय तो सगुण मत के कवियों के अलावा रीति काल के कवियों को भी वर्णाश्रम व्यवस्था का पोषक और समाज के सामंती रीति रिवाजों का समर्थक माना जाता है लेकिन इन मत मतांतरों यह बीच तुलसीदास को आदर्श जीवन चेतना का कवि कहा जाता है और आलोचकों के अनुसार उनकी काव्य चेतना का प्रमुख पक्ष समन्वय की भावना है।
इसलिए रामचरितमानस का समाज में काफी प्रचार प्रसार हुआ और इसकी कथा का श्रवण सबके लिए ईश्वर प्राप्ति का सच्चा मार्ग और मोक्षदायक सिद्ध हुआ। गांधी जी भी तुलसीदास का भजन गाते थे। रामचरितमानस की एक – एक चौपाई अत्यंत पावन है और सारे जाति समुदाय के लोग उत्तर प्रदेश और बिहार में इसका पाठ करते हैं। बिहार के राजद नेता चन्द्रशेखर को यह सब समझना चाहिए और तुलसीदास की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली बात किसी से नहीं करना चाहिए। तुलसीदास को जार्ज ग्रियर्सन ने लोकनायक कहकर संबोधित किया है।
👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।
One Comment