
सत्यनारायण माथुर
पीढ़ियों के बीच सामंजस्य की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक पीढ़ी के दृष्टिकोण, मूल्यों और तकनीकी समझ में अंतर होता है, और यदि इनका मेल न हो तो सामाजिक-राजनीतिक टकराव जन्म ले सकता है। पीढ़ियों को समझना केवल उनकी जन्म-तिथियों तक सीमित नहीं है। हर पीढ़ी अपनी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों और तकनीकी परिवर्तनों के अनुरूप विकसित होती है। नेपाल की हालिया घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि पीढ़ियों के बीच सामंजस्य और संवाद लोकतांत्रिक स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक है। जनरेशन-ज़ेड की ऊर्जावान सोच और पारंपरिक राजनीतिक अनुभव को समन्वित कर एक समावेशी, पारदर्शी और लोकतांत्रिक समाज की स्थापना की जानी चाहिए।
आज का युग कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का युग कहलाता है। तकनीक ने मानव जीवन के हर क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला दिए हैं — शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यवसाय, मनोरंजन, संचार और सुरक्षा – हर क्षेत्र में ए.आई. का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिल रहा है। लेकिन इस डिजिटल बदलाव के साथ एक चुनौती भी उत्पन्न हुई है – पीढ़ियों के बीच सामंजस्य स्थापित करना। ए.आई. के वर्तमान युग में मानव समाज निरंतर बदलता जा रहा है, और इसके साथ ही विभिन्न पीढ़ियाँ एक विशेष भूमिका निभा रही हैं। प्रत्येक पीढ़ी का अपना विशेष सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और आर्थिक परिवेश होता है, जिसने उसके विचार, मूल्य, व्यवहार और प्राथमिकताओं को आकार दिया है। आज जब हम तेजी से डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं, तो यह आवश्यक हो गया है कि हम हर पीढ़ी की विशेषताओं को समझते हुए उनके साथ आवश्यक सामंजस्य व संवाद स्थापित कर सामाजिक संतुलन और प्रगतिशीलता को बनाए रख सकें।
आज हम ऐसे युग में प्रवेश कर चुके हैं जहाँ Artificial Intelligence, Internet of Things, Augmented Reality (AR), Virtual Reality (VR), और Automation जैसी तकनीकें हर क्षेत्र में अपनी गहरी छाप छोड़ रही हैं। इस तकनीकी बदलाव की लहर के बीच युवा पीढ़ी, विशेष रूप से Generation Z, Generation Alpha और आने वाली Generation Beta, समाज का सबसे सशक्त और प्रभावशाली हिस्सा बनकर उभर रही है। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि हम इस नई तकनीक से प्रभावित युवा पीढ़ी के साथ सामंजस्य बनाकर चलें। आज विभिन्न मानव पीढ़ियों – Baby Boomers, Gen X, Millennials, Gen Z – में आपसी सामंजस्य एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। यह कार्य न केवल सामाजिक शांति बनाए रखने में सहायक होगा, बल्कि प्रत्येक पीढ़ी के सदस्यों को उनके व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में भी सहयोग देगा।
तकनीक और सामाजिक परिवर्तनों के बीच संतुलन बनाए रखना, पारिवारिक और शैक्षणिक स्तर पर सही मूल्य सिखाना, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना, और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करना इस दिशा में आवश्यक कदम हैं। जब हम समझदारी और सहानुभूति से पीढ़ियों के बीच के अंतर को समझेंगे, तभी हम एक सशक्त, समृद्ध और समावेशी समाज की ओर अग्रसर हो पाएँगे। Generation Z की तकनीकी दक्षता और सामाजिक जागरूकता को समझना होगा। वे पारंपरिक तरीकों से अलग सोचते हैं, और उनकी अभिव्यक्ति के तरीकों को स्वीकार करना होगा। पारंपरिक नेतृत्व को चाहिए कि वे नई पीढ़ी की अपेक्षाओं और डिजिटल दुनिया के नियमों को समझकर अपने राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण को अपडेट करें। सामूहिक संवाद और सहमति प्रक्रिया को बढ़ावा देना होगा, ताकि युवाओं की आवाज़ को सुनते हुए देश की नीतियों में सुधार हो सके और हिंसा तथा अस्थिरता से बचा जा सके। सामाजिक और राजनीतिक बदलावों को शांति और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत नियंत्रित करना चाहिए, जिससे देश में लोकतंत्र मज़बूत हो और सभी पीढ़ियाँ मिलकर विकास कर सकें।
ए.आई. युग में युवा पीढ़ी के साथ सामंजस्य बनाना आसान नहीं है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि तकनीक की अधिकता के कारण सामाजिक जुड़ाव और पारंपरिक मूल्यों का पतन हो सकता है। साथ ही, गलत सूचनाओं, फेक न्यूज़ और साइबर सुरक्षा खतरों से भी उन्हें सतर्क रखना ज़रूरी है। ए.आई. युग में युवा पीढ़ी के साथ सामंजस्य केवल आवश्यकता नहीं, बल्कि समाज की स्थिरता और प्रगति का एक निर्णायक पहलू बन चुका है। जब तक हम उनके विचारों, आदतों, प्राथमिकताओं और तकनीकी उपयोग को समझेंगे नहीं, तब तक उनके साथ एक सकारात्मक संवाद स्थापित नहीं कर पाएँगे। Generation Z, Alpha और Beta के युवा समाज को नई दिशा दे रहे हैं, नए व्यवसाय के अवसर बना रहे हैं, और पारंपरिक सोच को चुनौती दे रहे हैं। इसलिए हमें इस पीढ़ी के साथ सहानुभूति, समझदारी और सहयोग से काम लेना चाहिए ताकि वे एक समृद्ध, तकनीकी रूप से सशक्त और सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें। ए.आई. युग में सामंजस्य ही प्रगति की कुंजी है।
इस पीढ़ी के साथ सामंजस्य बनाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वे तकनीकी रूप से अत्यंत दक्ष हैं और परंपरागत सोच से हटकर नए प्रयोग और विचार अपनाना पसंद करते हैं। सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता, और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर अधिक सजग रहते हैं। स्वतंत्रता और उद्यमिता को प्राथमिकता देते हैं, जिससे पारंपरिक सरकारी नौकरियों की अपेक्षा फ़्रीलांसिंग, स्टार्टअप्स और डिजिटल व्यवसाय अधिक आकर्षक बन चुके हैं। वृद्ध पीढ़ी के पास अनुभव और पारंपरिक ज्ञान होता है, जबकि युवा पीढ़ी नई तकनीकों में प्रवीण होती है। यदि ये दोनों पीढ़ियाँ एक-दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित करें तो नवाचार और अनुभव का संतुलित संयोजन संभव हो सकता है। ए.आई. और ऑटोमेशन के बढ़ते प्रभाव से कार्यस्थल में तेजी से बदलाव आ रहा है। नए सॉफ़्टवेयर, मशीन लर्निंग एप्लिकेशन, रोबोटिक्स आदि के साथ काम करने के लिए सभी पीढ़ियों का तालमेल आवश्यक है। वरिष्ठ कर्मचारी और युवा कार्यकर्ता मिलकर बेहतर परिणाम ला सकते हैं।
ए.आई. की मदद से समाज में नए अवसर पैदा हो रहे हैं, लेकिन इससे बेरोज़गारी और तकनीकी असमानता की समस्या भी बढ़ रही है। सभी पीढ़ियों के बीच सहयोग से इन चुनौतियों का सामना करना आसान होता है। आज इस बात की अत्यंत आवश्यकता है कि पुरानी पीढ़ी के लिए तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर नए डिजिटल टूल्स और ए.आई. सॉफ़्टवेयर पर प्रशिक्षण दें ताकि वे युवा पीढ़ी के साथ काम करने में सहज महसूस करें। हर पीढ़ी की मानसिकता और सीखने की प्रक्रिया अलग होती है। सहनशीलता, धैर्य और समझदारी से सामंजस्य स्थापित करें। युवा पीढ़ी अब निष्क्रिय दर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय भागीदार है। यह बदलाव एक अवसर प्रस्तुत करता है कि हम पीढ़ियों के बीच की खाई को पाटें और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करें जहाँ सभी की आवाज़ सुनी जाए और सभी के अनुभव का सम्मान हो। पीढ़ियों के बीच सामंजस्य स्थापित करना कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है, जो वैश्विक स्तर पर स्थिरता, प्रगति और समावेशिता की ओर ले जा सकती है। यह न केवल एक देश के लिए, बल्कि एक ऐसे वैश्विक समाज के निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण है जो परिवर्तन के प्रति अधिक लचीला और सशक्त हो।
आज ए.आई. ने हमें एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है कि यह कहना मुश्किल हो गया है कि आखिर ए.आई. हमें अच्छाई की ओर ले जा रही है या किसी मुश्किल दौर में। मगर तकनीक कभी भी मानवता की जगह नहीं ले सकती। इसलिए, प्रत्येक पीढ़ी को यह समझना होगा कि ए.आई. केवल एक उपकरण है, और इसका सही उपयोग मानव जीवन को सशक्त बनाने के लिए होना चाहिए। अलग-अलग पीढ़ियों के बीच संवाद का वातावरण बनाएँ। उनके अनुभव, समस्याएँ और तकनीकी दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करें। कार्यस्थल या सामाजिक परियोजनाओं में पीढ़ियों को मिलाकर काम करने की व्यवस्था करें। इससे सहयोग और आपसी समझ बढ़ेगी।
प्रस्तुतकर्ता – सत्यनारायण माथुर
97, ईथ आरती नगर, पाल गांव, जोधपुर
📞 मोबाइल – 7597007161
✉️ ई-मेल – mathurabc@gmail.com
Nice article
Thank you
परिवर्तन समय की मांग है इसलिए पीढ़ियों को सामंजस्य बनाकर चलना होगा व एक दूसरे को सुनना होगा व सही को स्वीकार करना होगा । आपसी विचार-विमर्श से ही हर समस्या का समाधान संभव है और मैं से हम की भावना का विकास होता है और सामंजस्य स्थापित होता हैंऔर टकराव की कोई गुंजाइश नहीं होती है ।
Thank you