
रुड़की | औषधि विभाग की टीम ने मंगलवार को रुड़की के ग्राम सलीयर स्थित एक प्रतिष्ठान पर छापा मारकर बड़ी मात्रा में अवैध दवाएं बरामद की हैं। चौंकाने वाली बात यह रही कि जब्त की गई कई दवाओं पर राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार की मुहर लगी हुई थी, जो सामान्यतः केवल सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को निशुल्क आपूर्ति के लिए निर्धारित रहती हैं। यह मामला सरकारी आपूर्ति तंत्र में गंभीर गड़बड़ी और संभावित भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता है।
वरिष्ठ औषधि निरीक्षक अनीता भारती के नेतृत्व में यह कार्रवाई तब की गई जब विभाग को गुप्त सूचना मिली कि मैसर्स फलक नाज नामक प्रतिष्ठान बिना किसी वैध लाइसेंस के दवाओं की बिक्री कर रहा है और आसपास के क्षेत्रों में झोलाछाप चिकित्सकों को भी दवाओं की आपूर्ति करता है। सूचना की पुष्टि के बाद औषधि विभाग की टीम ने छापेमारी की योजना बनाई और मंगलवार को ग्राम सलीयर स्थित प्रतिष्ठान पर अचानक दबिश दी।
सरकारी मुहर लगी दवाएं देखकर चौंकी टीम
निरीक्षण के दौरान टीम को बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार की एलोपैथिक दवाएं मिलीं। इनमें कई दवाएं ऐसी थीं जिन पर स्पष्ट रूप से “राजस्थान सरकार आपूर्ति हेतु” और “मध्य प्रदेश सरकार आपूर्ति हेतु” की सरकारी मुहरें अंकित थीं। ये वही दवाएं हैं जो सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त दी जाती हैं। निजी प्रतिष्ठान में इनका पाया जाना विभागीय अधिकारियों को भी हैरान कर गया।
छापेमारी के दौरान प्रतिष्ठान संचालक किसी भी प्रकार का वैध औषधि विक्रय लाइसेंस या क्रय-विक्रय का रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं कर सका। मौके पर टीम ने सभी दवाओं की जांच कर कुल 12 प्रकार की एलोपैथिक दवाएं जब्त कीं। इन दवाओं को गवाहों की मौजूदगी में सीलबंद किया गया और मौके पर ही जप्ती मेमो (फॉर्म-16) एवं स्पॉट मेमो तैयार किया गया।
संभावित नेटवर्क की जांच शुरू
वरिष्ठ औषधि निरीक्षक अनीता भारती ने बताया कि यह मामला अत्यंत गंभीर है क्योंकि सरकारी आपूर्ति की दवाएं सामान्य जनता के लिए निशुल्क वितरण हेतु होती हैं। उनका निजी हाथों में पहुंचना किसी बड़े नेटवर्क की ओर संकेत करता है। उन्होंने कहा,
“हम इस पूरे प्रकरण की गहन जांच करेंगे। यह पता लगाया जाएगा कि ये दवाएं सरकारी चैनल से बाहर कैसे आईं, और इस पूरे रैकेट में किन लोगों की संलिप्तता रही।”
झोलाछाप डॉक्टरों तक सप्लाई के संकेत
औषधि निरीक्षक हरीश सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि इस प्रकार की सरकारी दवाओं की सप्लाई रुड़की और आसपास के ग्रामीण इलाकों में कार्यरत बिना पंजीकृत चिकित्सकों (झोलाछाप डॉक्टरों) तक की जा रही थी। विभाग अब ऐसे चिकित्सकों से भी पूछताछ की तैयारी कर रहा है ताकि सप्लाई चैन की पूरी कड़ी उजागर की जा सके। विभाग ने संचालक के खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के अंतर्गत कार्रवाई शुरू कर दी है।
जब्त दवाओं के नमूने जांच के लिए लैब भेजे जाएंगे। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की दंडात्मक कार्रवाई तय की जाएगी। इस कार्रवाई में औषधि निरीक्षक मेघा भी शामिल रहीं। टीम के अनुसार, आने वाले दिनों में इस प्रकरण में कई और नाम उजागर हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी दवाओं का इस तरह बाजार में बिकना जनस्वास्थ्य और औषधि नियंत्रण प्रणाली पर गहरी चोट है। सरकारी आपूर्ति का उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराना है। यदि वही दवाएं निजी बाजार में बेची जा रही हैं, तो यह न केवल सरकारी संसाधनों की चोरी है, बल्कि मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ भी है।