मैने आंसुओं को पढ़ना सीखा…

राजेश ध्यानी सागर
मैने आंसुओं को
पढ़ना सीखा है।
पर मेरे लिए
कोई गिराता नहीं।
हंसी तो हर
ओर मिली मुझ पर
अपने थे
गिनाता नहीं।
तन्हा अकेली राह
ओर मैं
मिला कोई ,
आंखें उसकी
भरी हुई
इन्तजार किया
गिरे आंसू ,
वो रुका
हंस कर बोला
राह पकड़
मै आंसू
गिराता नहीं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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