
राजीव कुमार झा
आज गुरु नानक देव जयंती है। गुरु नानक देव हमारे देश के ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने मानवता, समता और सदाचार का संदेश दिया। उनके विचार और उपदेश आज भी समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत हैं। गुरु नानक ने समाज को यह सिखाया कि जाति, धर्म और आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए और सभी को समान दृष्टि से देखना चाहिए। गुरु नानक के अनुयायी कालांतर में सिक्ख धर्म के रूप में संगठित हुए।
सिक्ख धर्म केवल एक धार्मिक प्रणाली नहीं है, बल्कि यह न्याय, मानवता और साहस का प्रतीक है। गुरु नानक ने अपने अनुयायियों को न केवल आध्यात्मिक जीवन के मार्ग दिखाए, बल्कि समाज सुधार और सामाजिक न्याय की दिशा में भी उन्हें प्रेरित किया। उनके शिक्षण ने बाद में गुरु अर्जुन देव और गुरु तेग बहादुर जैसे महान गुरुओं के बलिदान और संघर्ष का मार्ग प्रशस्त किया। इन गुरुओं ने मानवाधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और गुलामी के खिलाफ साहसपूर्ण कदम उठाए।
गुरु नानक की जन्मस्थली तलवंडी, जो अब पाकिस्तान में स्थित है, आज भी श्रद्धालुओं के लिए पवित्र स्थल है। उनका जन्म एक खत्री परिवार में हुआ और उनकी बाल्यावस्था की कई कथाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। एक प्रसिद्ध कथा यह है कि छोटे नानक ने पिता द्वारा दिए गए पैसे से बाजार में भूखे साधु-संतों को भोजन कराया। यह घटना उनके बचपन से ही उदारता, सेवा और मानवता के प्रति उनके झुकाव का प्रतीक है।
गुरु नानक का विवाह भी हुआ, लेकिन सांसारिक जीवन में उनका मन स्थिर नहीं रहा। उन्होंने संन्यास धारण किया और भ्रमण पर निकल पड़े। उन्होंने दूर-दूर तक यात्रा करके लोगों को सामाजिक समता, भाईचारा और ईश्वर के एकत्व का संदेश दिया। गुरु नानक ने जातिप्रथा और वर्ण व्यवस्था को स्पष्ट रूप से अस्वीकार किया। उनके अनुसार, केवल कर्म और भक्ति से व्यक्ति महान बनता है, न कि जन्म या जाति से। इसी विचारधारा के कारण सिक्ख गुरुद्वारों में लंगर की परंपरा शुरू की गई। लंगर में सभी लोग—चाहे अमीर हों या गरीब, उच्च जाति या निम्न जाति—समान रूप से बैठकर भोजन करते हैं। यह परंपरा आज भी मानवता, समता और सेवा का प्रतीक बनी हुई है।
गुरु नानक ने अपने उपदेशों में तीन मुख्य संदेश दिए—नाम जपना, किरतन करना और सेवा करना। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का जीवन केवल आध्यात्मिक साधना तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज की सेवा और दूसरों की भलाई के लिए भी समर्पित होना चाहिए। उनका मानना था कि जब तक समाज में अमीरी-गरीबी, जातिवाद और धार्मिक भेदभाव रहेगा, तब तक सच्चा मानव कल्याण नहीं होगा। गुरु नानक के संदेश का आधुनिक समाज में विशेष महत्व है। आज के समय में जहाँ सामाजिक असमानता, धार्मिक उन्माद और सामूहिक हिंसा बढ़ रही है, उनके विचार हमें समानता, धैर्य, और मानवता के मूल्यों की याद दिलाते हैं।
उनके अनुयायी और सिक्ख समुदाय आज भी इन मूल्यों को जीवंत रखे हुए हैं। गुरुद्वारों में की जाने वाली सामाजिक सेवा—भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सहायता—गुरु नानक की शिक्षाओं का प्रत्यक्ष प्रमाण है। गुरु नानक जयंती केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक नैतिक और सामाजिक जागरूकता का अवसर है। यह हमें याद दिलाता है कि इंसानियत, भाईचारा और सेवा की भावना को अपने जीवन में उतारना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। उनके आदर्शों का पालन करके हम समाज में समानता, सदाचार और न्याय का प्रचार कर सकते हैं।
आज के दिन दुनिया भर में सिक्ख समुदाय और उनके अनुयायी गुरु नानक की जयंती बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। गुरुद्वारों में की जाने वाली कीर्तन, भजन और लंगर की परंपरा लाखों लोगों के लिए आध्यात्मिक और सामाजिक शिक्षा का माध्यम बनती है। गुरु नानक देव का जीवन और उनके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। उनके आदर्श हमें यह सिखाते हैं कि सामाजिक समानता, धार्मिक सहिष्णुता और मानव सेवा का मार्ग ही सच्चा धर्म है। उनके संदेश का पालन करने से न केवल हमारी व्यक्तिगत उन्नति होगी, बल्कि समाज में भी न्याय, समता और सदाचार की भावना बढ़ेगी।