
लंपी वायरस के बाद एफएमडी की चुनौती, पशुपालन विभाग के मुताबिक लंपी वायरस से ग्रसित जानवरों के जल्द ठीक होने से राहत है। अब तक इस वायरस से ग्रसित 432 जानवर इससे ठीक हो चुके हैं। वर्तमान में जिले में लंपी वायरस के 113 केस एक्टिव हैं।
[/box]अल्मोड़ा। पहले ही लंपी वायरस से जूझ रहे पशुओं को सुरक्षित बचाने की चुनौती का सामना कर रहे पशुपालन विभाग के लिए मुंहपका-खुरपका (फुट एंड माउथ डिजीज) बीमारी मुश्किल खड़ी कर सकती है। विभाग लंपी वायरस से बचाव के लिए जानवरों का टीकाकरण कर रहा है लेकिन उसके पास फुट एंड माउथ डिजीज (एफएमडी) की वैक्सीन उपलब्ध नहीं है जबकि गर्मी में ही यह बीमारी जानवरों में फैलती है।
यदि जानवर एक साथ दोनों बीमारी से ग्रसित हुए तो ऐसे में पशुपालन विभाग मुश्किल में पड़ सकता है और लोगों को पशुधन का नुकसान होगा। अल्मोड़ा जिले में लंपी वायरस से अब तक 557 जानवर बीमार हो चुके हैं और इनमें से 12 पशुओं की मौत हो चुकी है। पशुपालन विभाग को इस वायरस से सुरक्षित बचाने के लिए जिले भर में 1,60,000 जानवरों का टीकाकरण करना है। अब तक विभाग 53,847 जानवरों का टीकाकरण कर चुका है।
इसी बीच जानवरों के एफएमडी बीमारी से भी ग्रसित होने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में पशुपालन विभाग के सामने जानवरों को सुरक्षित बचाकर किसानों को राहत पहुंचाने की दोहरी चुनौती है। विभाग के पास लंपी वायरस के पर्याप्त टीके उपलब्ध हैं। लेकिन एफएमडी के टीके की एक भी डोज जिले में मौजूद नहीं है। यदि दोनों बीमारियों का एक साथ हमला हुआ तो पशुपालन विभाग के लिए इनसे निपटना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
पशुपालन विभाग के मुताबिक लंपी वायरस से ग्रसित जानवरों के जल्द ठीक होने से राहत है। अब तक इस वायरस से ग्रसित 432 जानवर इससे ठीक हो चुके हैं। वर्तमान में जिले में लंपी वायरस के 113 केस एक्टिव हैं। एफएमडी बीमारी को लेकर पशुपालन विभाग सतर्क हो गया है। हालांकि विभाग के पास इस बीमारी की वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। लेकिन विभाग ने एफएमडी के दो लाख टीकों की डिमांड भेजी है, जिसके जल्द मिलने की उम्मीद है।
[box type=”success” align=”aligncenter” class=”” width=”100%”]यह है एफएमडी बीमारी
एफएमडी यानि खुरपका-मुंहपका रोग विषाणु जनित है। इसमें जानवरों के मुंह और खुरों में छाले पड़ जाते हैं और वे तेज बुखार से पीड़ित होते हैं। प्रभावित जानवर के मुंह से अत्यधिक लार टपकती है और वह चारा खाना बंद कर देता है। जानवरों का गर्भपात हो सकता है और बछड़ों की मौत हो सकती है।
[box type=”success” align=”aligncenter” class=”” width=”100%”]बचाव के उपाय
[/box]इस रोग से प्रभावित जानवर को अन्य जानवरों से दूर किया जाना चाहिए। मुंह और खुरों को सोडियम कार्बोनेट के घोल से धोना जरूरी है। टीका इसके बचाव का एकमात्र उपाय है।
[box type=”warning” align=”alignleft” class=”” width=”100%”]लंपी वायरस की रोकथाम के लिए टीकाकरण चल रहा है। एफएमडी के टीके की मांग भेजी गई है। जल्द ही टीके उपलब्ध होंगे। पशुपालन विभाग तत्परता से काम कर रहा है।
– डॉ. डीके शर्मा, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, अल्मोड़ा।
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